{ पति मेरा चादर ताने बिस्तर पर पड़ा है,
और बेटा घर से बाहर खेलने की जिद पर अड़ा है।
{ बिटिया मेरी ऑनलाइन पढ़ाई में उलझी है,
बस जिंदगी तो मेरी कामवाली बाई की सुलझी है।
{ दीदी कहती हो तो काम पर मैं आ जाऊं,
पर फिर ना कहना गर खिड़की दरवाजे को हाथ लगाऊं।
{ मुझसे ना होगा बार-बार हाथ धो घर के अंदर आऊं,
अब तुम ही बतलाओ की घर पर रहूं या आ जाऊं।
{ बहना तुम तो कोरोना बन मुझे डराती हो,
घर पर रहो सुखी रहो वही मुझे तुम भाती हो।
{ तुम सब के शोर से भई कान मेरे तो पक गए,
लेट-लेट के ही जाते क्यों साहब इतना थक गए।
{ बच्चों को कुछ सिखाया है तुमने क्या आफत मचाते हैं,
दिनभर कुछ ना कुछ खाने की ही फरमाइश करते जाते हैं।
{ पढ़ने में हैं ध्यान कम, शरारतें कुछ ज्यादा है,
एक दिन पिटेंगे मुझसे, ये तुमसे मेरा वादा है।
{ अाॅनलाइन पढ़ाई का स्कूलों में अब एक नया स्यापा है,
मैं खुद आनॅलाइन रहूं या इन्हें पढ़ाऊं यह फिक्र कुछ ज्यादा है।
{ ऊपर से कमबख्त नाैकरी, ऑफिस राेज मुझे बुलाता है,
यह लॉकडाउन करने वाला मेरे दफ्तर क्यों नहीं आता है।
{ मैं भी चाहती हूं चादर तानकर लंबी सो जाऊं,
मीठे-मीठे सपने देखूं गहरे ख्वाबों में खो जाऊं।
{ पर कोरोना मेरी सौत बनी है, सचमुच बड़ा सताती है।
घर में छीना है चैन मेरा, बाहर बड़ा डराती है।
सपना भामरी
अम्बाला | काेराेना ने सबको लॉकडाउन करके रख दिया। लेकिन सबसे ज्यादा समस्या उन महिलाओं की है जिन्हें इस समय में ऑफिस और घर दोनों को संभालना पड़ रहा है। उन्हीं के दर्द को हीलिंग टच के केयर पार्टनर हाॅर्ट सेंटर की अस्सिटेंट वाइस प्रेसिडेंट सपना भामरी ने अपनी कविता की पंक्तियों में बयां किया है। उन्होंने अपने स्कूल के टाइम से लिखना शुरू कर दिया था। अपने कॉलेज एसडी में क्रिएटिव राइटर्स एसेसिएशन और अम्बाला साहित्य मंच की सक्रिय मेंबर भी रही हैं।
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