स्ट्रीट फूड कारीगर और कंपनी में कर्मी थाम रहे खुरपी


आसाराम आश्रम; यहां सुबह-शाम कीर्तन में बीत रहा समय

पंजाेखरा राेड पर आसाराम आश्रम में 211 प्रवासी श्रमिक हैं, जिनमें 28 महिलाएं हैं। महिलाओं के लिए 10 अाैर पुरुषों के लिए 11 टायलेट हैं। पंजोखरा थाना पुलिस अाैर पुलिस लाइन से महिला पुलिस व्यवस्था देख रही है। सुबह साढ़े 7 बजे चाय के साथ ब्रेड, साढ़े 10 बजे नाश्ता और उसके बाद कीर्तन होता है। इसके बाद साढ़े 12 बजे खाना और शाम की चाय के बाद पांच बजे फिर से कीर्तन होता है। सात बजे खाना दिया जा रहा है। आश्रम ने अपने खर्च पर 200 सेनिटाइजर और 200 सेनेटरी पैड महिलाओं को दिए हैं। जिला प्रशासन आया जरूर है लेकिन फिलहाल कोई आर्थिक सहायता देने की न तो बात हुई या न ही दी गई है।
-जैसा आश्रम प्रवक्ता गौरव शर्मा ने बताया।

कहीं प्रवासी श्रमिक ताश खेल रहे तो कहीं मोबाइल में फिल्म देखने में व्यस्त

भास्कर न्यूज | अम्बाला

लॉकडाउन से पंजाब के लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़ में श्रमिक बेकाम हुआ वहीं चंडीगढ़ में स्ट्रीट फूड पकाने वाले भी खाली हो गए। हजारों की संख्या में प्रवासी श्रमिक पैदल ही यूपी-बिहार के लिए निकल पड़े थे। रास्ते में अम्बाला में इन्हें शेल्टर होम में रखा गया है। पंजोखरा रोड पर आसा राम आश्रम, जगाधरी रोड पर लक्की फार्म और करधान में राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा में ऐसे करीब 800 प्रवासियों को रखा गया है। इनमें से ज्यादातर घरों को जाने के बेचैन हैं लेकिन अभी प्रशासन से अनुमति नहीं मिल रही। इन कामकाजी लोगों के लिए पूरा दिन बिताना पहाड़ फोड़ने सरीका मुश्किल है। दैनिक भास्कर की टीम ने जरूरी सावधानियां बरतते हुए इन शेल्टर होम को देखा। कहीं प्रवासी श्रमिक ताश खेलकर तो कहीं मोबाइल में व्यस्त दिखे। लेकिन कहीं नजारे अलग हैं। डाबर कंपनी में काम करने वाला और चंडीगढ़ सेक्टर 41 में स्ट्रीट फूड बनाने वाले कारीगर खुरपी से पेड़-पौधे में निराई-गुड़ाई करते नजर आएं। दरांती से मैदान और चारदीवारी के आसपास घास को भी काटा गया।

चंडीगढ़ में छोले-कुलचे बेचता हूं, अब काम बंद पड़ा

बीते दो साल से चंडीगढ़ की 41 सेक्टर में छोले कुलचे बेचता हूं। काम इतना अच्छा था कि मैंने भाई को भी गांव से बुला लिया था। कोरोना के चलते कामकाज एकदम से बंद हो गया। लॉकडाउन के चलते सारे वाहन बंद हो गए हैं, इसलिए चंडीगढ़ से पैदल ही बरेली में गांव पुंडरी फैजल अल्लापुर के लिए निकला था। मोबाइल देख भी परेशान था, इसलिए खुरपी से पेड़-पौधों की गुड़ाई शुरू की ताकि समय व्यतीत हो सके।
-जैसा चंडीगढ़ के सेक्टर 26 निवासी बादल और राम बहादुर ने बताया।

अमर बोले- घास काट कर समय पास हो जाता है

पंजाब के नया गांव में डाबर की फैक्टरी है, बीते दो साल से फैक्टरी में काम कर रहा था। कोरोना वायरस के चलते फैक्टरी लॉकडाउन हुई तो सोचा घर चला जाऊं। वहां से पैदल ही चला और तीन दिन के बाद अम्बाला पहुंच गया। यहां पुलिस ने रोक लिया और 8 दिन से यहां हूं। डेरा से बाहर जा नहीं सकते। दरांती के घास काटे अरसा बीत गया था इसलिए समय पास करने के लिए घास काट रहा हूं।
-जैसा गोंडा के पंडैलगंज गांव निवासी अमर बहादुर ने बताया।

लक्की फार्म; 374 लोग पुलिस व वॉलंटियर्स के जिम्मे, इनकी सेवा में नहीं कोई कमी

लक्की फार्म में महेश नगर थाना पुलिस और एसडीएम कार्यालय कैंट से विजय शर्मा और मोंटी नागरा दो वॉलियंटर्स हैं। डाक्टरों की टीम समय-समय पर आती है। सरसेहड़ी गांव के सरपंच एक वक्त का खाना मुहैया करा रहे हैं। दोपहर और शाम को नाश्ता भी एसडीएम कार्यालय से श्री दिगंबर जैन सभा, जैन परिवार मिलन व अन्य संस्था के जरिए भिजवाया जा रहा है। 14 अप्रैल तक यहां पर रोटरी एवं कैंसर अस्पताल यहां पर रहने वाले 374 लोगों को भोजन देगा। यहां पर 3 लेडीज रह रही है, जिन्हें सेनेटरी पैड भी रोटरी कैंसर अस्पताल ने ही मुहैया कराएं हैं।

राधा स्वामी सत्संग; 193 लोगों का ब्यास डेरा उठा रहा खर्च, संतुलित खाने का शेड्यूल

कैंट के वार्ड 15 में राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा करधान में जिला प्रशासन ने 193 लोगों को भेजा था। रोजाना सुबह रस के साथ पहले चाय, नाश्ते में दलिया, 11 बजे दूसरी बार चाय, दोपहर डेढ़ बजे चावल-दाल, शाम को चार बजे मट्ठी के साथ चाय, रात को रोटी और खिचड़ी (आज से) दी जाएगी। पहले दिन ताे रात काे 160 कंबल दिए अाैर टूथब्रश से लेकर कपड़े तक दिए गए हैं। यह सारा खर्च डेरा कमेटी कर रही है, महेश नगर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग से डाक्टरों की टीम मौजूद है, एक व्यक्ति की लूज मोशन लगे थे जिसके बारे एसडीएम को जानकारी देकर अस्पताल भिजवा दिया गया था।
-जैसा डेरा कमेटी सचिव जंगशेर सिंह ने बताया।

अम्बाला | लक्की फार्म में ताश खेलकर समय बिताते प्रवासी श्रमिक।

ग्राउंड रिपाेर्ट

मैं सुनील बराड़। खतरों के बीच पत्रकारिता धर्म निभा रहा हूं, क्योंकि मेरे परिवार के साथ भास्कर के पाठकों को भी मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है।

अम्बाला



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