
(विवेक मिश्र)कोरोना वायरस के नए केसों का मिलना लगातार जारी है। कोरोना काल के अप्रैल, मई और जून माह में घर पर रहे लोगों में अकेलेपन, खालीपन और संक्रमण के डर की वजह से डिप्रेशन, एंग्जायटी व डिस्ऑर्डर और घबराहट की समस्या होनी शुरू हो गई। कोरोना वायरस के डर की वजह से लोगों की नींद गायब हो गई लिहाजा वे डिप्रेशन के शिकार होने लगे।
कोरोना काल के तीन माह में पंडित बीडी शर्मा हेल्थ सांइसेज यूनिवर्सिटी के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में संचालित रही इमरजेंसी ओपीडी में औसतन नौ हजार युवा, महिलाएं, पुरुष और बुजुर्ग इलाज कराने के लिए पहुंचे। इनमें सोनीपत, झज्जर, भिवानी, दादरी, रोहतक, जींद, रेवाड़ी व रोहतक जिले के लोगों की संख्या ज्यादा रही।
चिकित्सकों ने इन तीन माह में आए मरीजों की मानसिक स्वास्थ्य की समीक्षा की तो पाया कि औसतन 40 फीसदी युवा, 20 फीसदी महिलाएं और 20 फीसदी बुजुर्ग एन्जायटी डिस्ऑर्डर और डिप्रेशन की समस्या से पीड़ित मिले।
केस 1 : हर माह मायके जाती थी, न जा पाने से डिप्रेशन का शिकार
हिसार जिले में स्थित ससुराल में रह रही विवाहिता ने चिकित्सक को बताया कि उसकी शादी को तीन साल हुए हैं। करनाल में उसका मायका है। वो हर माह माता पिता से मिलने मायके जाती थी। लेकिन अब वो कोरोना के डर से पिछले तीन माह से परिजनों से मिलने नहीं जा पाई है। इस चिंता की वजह से उसकी परेशानी बढ़ गई है और उसे रात में नींद भी नहीं आती। वो लगातार डिप्रेशन में आती जा रही है। चिकित्सकों ने उसकी काउंसिलिंग करते हुए बताया कि सावधानी बरतने से कोरोना नहीं होगा।
केस 2 : जॉब करने कनाडा जाना था, एन्जायटी से ग्रस्त हो गया
रोहतक शहर निवासी युवा को कनाडा में जॉब करने के लिए जाना था। लेकिन लॉकडाउन होने के बाद उसे मिलने वाला वीजा नहीं मिल पाया और इंटरनेशनल फ्लाइट भी कैंसिल हो गईं थी। कनाडा न पहुंच पाने और कोरोना को लेकर आ रही खबरों से वो तनाव में आ गया। इसके बाद वो धीरे धीरे एन्जायटी डिस्ऑर्डर का शिकार हो गया। धीरे-धीरे उसकी मानसिक हालत बिगड़ती चली गई। संस्थान में इमरजेंसी ओपीडी में इलाज कराने पहुंचे युवक ने काउंसिलिंग के दौरान ये सभी परेशानियां गिनाईं।
क्या है एंग्जाइटी डिसऑर्डर?
यह एक मानसिक रोग है, जिसमें रोगी को तेज़ बेचैनी के साथ नकारात्मक विचार, चिंता और डर का आभास होता है । जैसे, अचानक हाथ कांपना, पसीने आना आदि । अगर समय पर इसका सही इलाज न किया जाए तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है और मिर्गी का कारण भी बन सकता है। आगे चलकर रोगी अपना अहित भी कर सकता है।
18 से 55 साल की उम्र के 40 फीसदी लोग मिले डिप्रेशन का शिकार
एक अप्रैल से 30 जून तक रोजाना सौ से डेढ़ सौ के करीब मरीज इमरजेंसी में इलाज कराने के लिए आए हैं। इनमें 18 से 55 साल की उम्र के 40 फीसदी लोगों में युवा, महिलाएं और पुरुष वर्ग में डिप्रेशन की समस्या मिली।-डॉ. पुरुषोत्तम, एसोसिएट प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, रोहतक।
लॉक डाउन पीरियड में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में इमरजेंसी ओपीडी का संचालन किया गया। तीन माह में हर रोज औसतन 100 से 150 के करीब हर आयु वर्ग से मरीज इलाज कराने के लिए इमरजेंसी ओपीडी में पहुंचे। -डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर कम सीईओ, इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, रोहतक।
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