लॉक डाउन -4 में जिला में प्रशासन की ओर से दी गई छूट और मजदूरों को वापस काम दिलाने के लिए किए जा रहे प्रयास सफल होते दिख रहे हैं। डीसी आरसी बिढ़ान की ओर से बाकी बचे मजदूर जो वापस घर जाना चाहते है उन्हें रोकने का भी प्लान तैयार किया गया है। डीसी ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी करने के आदेश दिए है और एसडीएम की ड्यूटी लगाई है कि अपने अपने इलाकों के मजदूरों से बात की जाए और उन्हें मनाया जाए कि वे यही पर काम करे। अब हालात रोजाना सुधर रहे हैं। अगर किसी को काम नही मिल रहा है तो उन्हें काम दिलाया जाएगा। इसके लिए मजदूरों से बात की जाएगी और उन्हें रोका जा रहा है। ताकि जिला में फैक्ट्री उद्योग धंधों में भी मैन पावर की कमी ना हो और जिला के विकास का पहिया पहले की तरह तेजी से घूमता रहे।
एसडीएम रविवार को शेल्टर हाउस में रुके मजदूरों से बात करने भी गए। उन्हें मनाने का प्रयास भी किया। कुछ मजदूरों ने सहमति भी जताई है। जिला में अब 450 फैक्ट्री और उद्योग शुरू हो चुके हैं। जिनमें 8 हजार मजदूर काम पर लौटे है। जिला में कुल छोटे मोटे 1800 फैक्ट्री और उद्योग है। जिनमें काफी संख्या में सीजनल है। इनमें करीब 15 हजार मजदूर काम करते है। डीसी ने मजदूरों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर 01666-248882 और 1950 जारी किया है। मजदूर अपने लिए रोजगार और खाने पीने की सुविधाओं की मांग कर सकते है।
जिला प्रशासन की ओर से पंजीकृत मजदूरों को उनके राज्य में भेजने का भी काम लगातार जारी है। इस कड़ी में अब तक 3800 मजदूर, यूपी, बिहार, राजस्थान और एमपी भेजे जा चुके है। डीआरओ की रिपोर्ट मुताबिक 3 हजार के करीब मजदूर पैदल या अन्य वाहन से गये है। अब जिला में करीब एक हजार मजदूर और है जो अभी भी घर जाने की कह रहे हैं, मगर उनमें से काफी संख्या में मजदूर अब अपना मन बदल रहे हैं और काम यहीं पर करना चाहते है। वैसे तो रजिस्ट्रेशन के मुताबिक बिहार के 3 हजार मजदूर अभी वेटिंग में है लेकिन उनमें से जाने वाले करीब 500 या 600 ही है। इस प्रकार जिला से अब तक करीब 7 हजार मजदूर ही गए हैं।
जिले में 15 हजार मजदूरों ने करवाया था घर जाने का पंजीकरण, 3800 को भेजा
जिला प्रशासन की ओर से पंजीकृत मजदूरों को उनके राज्य में भेजने का भी काम लगातार जारी है। इस कड़ी में अब तक 3800 मजदूर, यूपी, बिहार, राजस्थान और एमपी भेजे जा चुके है। डीआरओ की रिपोर्ट मुताबिक 3 हजार के करीब मजदूर पैदल या अन्य वाहन से गये है। अब जिला में करीब एक हजार मजदूर और है जो अभी भी घर जाने की कह रहे हैं, मगर उनमें से काफी संख्या में मजदूर अब अपना मन बदल रहे हैं और काम यहीं पर करना चाहते है। वैसे तो रजिस्ट्रेशन के मुताबिक बिहार के 3 हजार मजदूर अभी वेटिंग में है लेकिन उनमें से जाने वाले करीब 500 या 600 ही है। इस प्रकार जिला से अब तक करीब 7 हजार मजदूर ही गए हैं।
ईंट भट्ठे की लेबर रोकने में मिली कामयाबी, 50 भट्ठे पर 3500 के करीब मजदूर जिला में ही कर रहे काम
जिला प्रशासन और ईंट भट्ठे मालिकों के तालमेल के चलते जिला में कार्य कर रही लेबर यहीं रोकने में कामयाबी मिली है। डीसी सिरसा ने शुरू से ही ईंट भट्ठे पर रोक नही लगाई थी। इस वजह से लेबर में हडकंप नहीं मचा और वे रुके रहे। ईंट भट्ठे मालिकों ने भी उनके खाने पीने की समस्या का निपटारा रखा। यही कारण रहा की 50 ईंट भट्ठे पर कार्यरत करीब 3500 की संख्या में लेबर अभी जिला में ही काम कर रही है।
श्रमिक संगठनों से बातचीत करके रोके जा रहे मजदूर
डीसी आरसी बिढ़ान ने अधिकारियों को आदेश दिए है कि जो मजदूर रुके हुए है उनको काम पर लगाने के लिए उनके श्रमिक संगठनों से बात की जाए। उनमें विश्वास जगाया जाए कि उन्हें यहां काम मिलेगा और किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी। इसके लिए अधिकारी कोशिश कर रहे हैं।
अन्य जिलों के मुकाबले कम मजदूरों ने पलायन
^हमारे जिला से अन्य जिलों के मुकाबले बहुत कम मजदूरों ने पलायन किया है। बाकी मजदूरों को भी रोकने के लिए टीम बना दी है। हेल्प लाइन नंबर भी जारी कर दिया है। सभी को रोजगार भी दिलाया जाएगा। एसडीएम की ड्यूटी लगा दी है। वे मजदूरों और संगठनों से बातचीत कर रहे हैं।'' -आरसी बिढान, डीसी सिरसा।
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