25 से शुरू होगा नया हिंदू वर्ष, तकनीकी क्षेत्र में आएगी समृद्धि


25 मार्च 2020 से नया सम्वत 2077 प्रमादी नाम से शुरू होगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नया हिंदू वर्ष शुरू हो जाता है। श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली के अध्यक्ष व कॉस्मिक एस्ट्रो पिपली के निदेशक डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन की थी। नवरात्रि व्रत भी इसी तिथि से शुरू होता है। 2077 सम्वत के राजा बुध व मंत्री चंद्रमा हैं। राष्ट्र अध्यक्षों के मध्य में संहारक हथियारों की भागदौड़ एवं परस्पर टकराव होंगे। प्राकृतिक प्रकोपों एवं युद्ध भय के कारण लोगों की धन संपदा की हानि होगी। आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक अस्थिरता के कारण जनमानस परेशान रहेंगे। इस संवत में वर्षा अधिक रहेगी। नव संवत्सर के राजा बुध होने से तकनीकी क्षेत्र में देश को बड़ी उपलब्धि प्राप्त होगी। धन-धान्य में वृद्धि होगी। मंत्री चंद्रमा होने का प्रभाव लोगों के मन में असंतोष और दुविधा की स्थिति बनी रहेगी। अधिक मास जिसे पुरुषोत्तम मास कहते है वो 18 सितंबर से 16 अक्टूबर 2020 तक रहेगा I

बुधवार को करें पंचदेव पूजन : बुधवार को सुबह 10. 29 बजे तक शुद्ध स्नान करके संवत्सर पूजन, घट स्थापन, ओमकार सहित पंचदेव पूजन करना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ और विशेष मंत्रों का जाप साधक अपने पूजा स्थान में श्रद्धा पूर्वक करें। गुरु गोबिंद सिंह महाराज ने मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की थी जो मुख्य ग्रंथ चंडी दी वार नाम से प्रसिद्ध है। 25 मार्च से 2 अप्रैल 2020 तक विशेष नवरात्रि व्रत रहेगा। मां दुर्गा की पूजा अर्चना महोत्सव व भगवान राम का जन्मोत्सव चैत्र नवरात्रि में मनाया जाता है।

नवरात्र में मां के नौ अवतारों की करें पूजा : डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन मां दुर्गा के बालिका अवतार की पूजा होती है। मां शैलपुत्री को सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है। इस दिन भक्त पीला वस्त्र पहनकर मां को घी चढ़ाते हैं और उनकी अराधना करते हैं। नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्माचारिणी रूप में पूजा की जाती है। इस दिन भक्त हरा वस्त्र पहनकर उन्हें शक्कर का भोग लगाते हैं। नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त मां को दूध या खीर चढ़ाते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। चौथा दिन होता है मां कुष्मांडा का। इस दिन मां को मालपुए का भोग लगाया जाता है और नारंगी रंग के वस्त्र पहने जाते हैं। ऐसा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस दिन उजला वस्त्र पहनकर शक्ति रूपी मां दुर्गा को केले का भोग लगाया जाता है। छठे दिन मां कात्यायिनी की पूजा होती है। इस दिन लाल कपड़ा पहनकर मां को शहद का भोग लगाया जाता है। जिससे मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सातवें दिन पूजा की जाती है मां कालरात्रि की। ब्राह्मणों को भी दान किया जाता है। नवरात्र का आठवां दिन होता है मां महागौरी का। इस दिन गुलाबी वस्त्र पहनकर मां को नारियल का भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इस दिन बैंगनी रंग के वस्त्र पहनकर मां को तिल का भोग लगाया जाता है।



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