प्रदेश के 23.87 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल तैयार है। 115 लाख टन उत्पादन की उम्मीद है, इसमें से 95 लाख टन मंडियों में आएगा। लॉकडाउन में सबसे बड़ा चैलेंज 20 अप्रैल से शुरू होने वाला है। जब गेहूं की खरीद शुरू होगी। तब लाखों किसानों और मजदूरों की भीड़ संभालनी होगी। हालांकि सरकार काफी प्रयास कर रही है। सरकार ने खरीद केंद्र 477 से बढ़ा कर 1887 कर दिए हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि हर बार सड़कों पर गेहूं पड़ा रहता है तो इस बार लॉकडाउन में कैसे स्थिति संभलेगी। अन्नदाता और अन्न की रक्षा जरूरी है। लेकिन कोरोना गांवों तक न जाए यह सुनिश्चित करना होगा। इसलिए न केवल सरकार बल्कि अधिकारियों, पंचायतों, आढ़तियों, किसान यूनियनों और किसानों को मिलकर सहयोग करना होगा। तभी किसान यह जंग जीतेंगे।
समय पर कटाई जरूरी, पंचायतों से लें सहयोग
सबसे पहली चुनौती गेहूं की कटाई है, क्योंकि समय पर कटाई नहीं हुई तो अगली फसल कैसे लगेगी। इसके लिए सरकार को पंचायतों का सहयोग लेना चाहिए। प्रदेश में करीब 6200 पंचायतें हैं। गांव में जो कंबाइन और लेबर आदि आएगी, उनकी व्यवस्था से लेकर सैनेटाइज आदि करने का काम पंचायतें कर सकती हैं। पंचायतें रिकॉर्ड रख सकती हैं। प्रतिदिन इनको सैनेटाइज करा सकती हैं। पंचायतों का मतलब केवल सरपंच नहीं बल्कि ग्राम सचिव, सरपंच व सदस्यों की पूरी टीम होनी चाहिए। किसी खरीद केंद्र में भीड़ दिखे तो पंचायतें कटाई का शेड्यूल बनवा सकती हैं।
खरीद आसान नहीं, अन्य विभागों से भी ली जाए मदद
गेहूं की खरीद इस बार आसान नहीं है। इस चुनौती में अकेले खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के भरोसे नहीं रहना चाहिए। सरकार ने केंद्र बढ़ाए हैं, इसमें और वृद्धि जरूरी है। खरीद केंद्रों की मैनेजमेंट के लिए एनसीसी कैडेट्स का सहारा लेना चाहिए। प्रदेश में करीब 35 हजार कैडेट्स हैं। एक्स सर्विसमैन और दूसरे विभागों के कर्मियों की एक लिस्ट बनाकर उनकी ड्यूटी लगाई जा सकती है। उन विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों की लिस्ट बनानी चाहिए, जिनकी ड्यूटी लॉकडाउन न लगी हो। आढ़तियों को ज्यादा जगह पर खरीद करनी होगी। उठान के लिए भी ज्यादा लेबर की जरूरत होगी। ऐसे में मनरेगा का इस बार इसमें प्रयोग करना चाहिए।
सड़कों पर न आए गेहूं इसलिए उठान और भंडारण अहम
गेहूं उठान बड़ी समस्या होती है। खरीद केंद्र भर गए तो खरीद का काम प्रभावित हो जाएगा। गेहूं का उठान 24 घंटे में हो जाए तो समस्या कम होगी। देरी से गेहूं लाने पर बोनस की घोषणा की गई है। सरकार किसानों एडवांस में बारदाना दे और जिसके पास जगह न हो उसे गांव में ही पंचायत से जगह दिलवा दे तो गेहूं स्टोर कर सकते हैं। जिस जगह पर खरीद की जाए, अगर वहीं पर प्रशासन स्टोरेज की व्यवस्था कर सके तो यह प्रक्रिया काफी सरल हो जाएगी। गेहूं को खेत से लाने के लिए और फिर मंडी से उठाने के लिए ट्रांसपोर्ट की दिक्कत रहती है
सुरक्षा और प्रबंधन सहीं हो तो आसान होगा सफर
नगर पालिक, कस्बे या बड़े गांवों में दमकल तैनात रहे। खरीद केंद्रों के पास एंबुलेंस की तैनाती हो।{ किसानों को अधिकारियों के पास चक्कर न काटने पड़े, इसका प्रबंध जरूरी है। सरकार जिला स्तर पर कॉल सेंटर खोले, जिसमें समस्या सुनने के लिए टीम हो। मंडियों व खरीद केंद्रों पर भीड़ इकट्ठी न हो, इसे रोकने के लिए उचित प्रबंध किया जाए।{ प्रभावी शेड्यूल बने और इसे हर किसान तक पहुंचाएं। किसानों के लिए विश्राम करने को भी स्टेडियम, चावल मिल या फिर स्कूलों में जगह होनी चाहिए।
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