
घर के बाहर गेट पर आकर एक ही आवाज आती है कि जी आपके परिवार का मुखिया का नाम क्या है और उनका फोन नंबर बताओ। घर में कुल कितने सदस्य हैं, परिवार का कोई सदस्य जिन्होंने एक माह में विदेश यात्रा की हो, परिवार में कोई बीमार तो नहीं रहता, घर में कोई गर्भवती महिला है या कोई क्रोनिकल बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति है, इस तरह से घर के दरवाजे के बाहर घूंघंट व डाठा मारे खड़ी लाल सूट वाली महिला के सवाल होते हैं। पूछने पर पता चलता है कि वह आशा वर्कर है और कोरोना महामारी के चलते सर्वे कर रही है। इस तरह से जिला की आशा वर्कर महिलाएं घर घर जाकर कोरोना पॉजीटिव व संदिग्धों का बही खाता तैयार कर महामारी बचाव में मदद कर रही हैं। कैथल में कोरोना के दो केस पॉजीटिव आने के बाद से जिला के 277 गांवों में आशा वर्कर अब फील्ड में जाकर सर्वे करने में जुटी हैं।
विदेशों के बाद देश व प्रदेश में कोरोना की दस्तक से अलर्ट हुए स्वास्थ्य विभाग हरियाणा की ओर से अब डोर टू डोर सर्वे की जिम्मेदारी आशा वर्कर महिलाओं को सौंपी है। बाकायदा उन्हें विभाग की ओर से एक प्रोफार्मा तैयार कराकर उसे भरवाने के लिए भेजा जा रहा है। इसमें परिवार के मुखिया का नाम व फोन नंबर भी लिया जा रहा है ताकि किसी भी स्थिति में उस परिवार से संपर्क साधा जा सके। परिवार सदस्यों की जानकारी के साथ साथ बीमार लोगों, खांसी बुखार, गले में खराश, नाक में पानी बहना तथा सांस लेने में दिक्कत वाले लोगों की अलग पहचान की जा रही है। यह सब ब्यौरा प्रफोर्मा में अंकित किया जा रहा है। इतना ही नहीं, आशा वर्कर को सर्व की तारीख, जिला का नाम, सब सेंटर का नाम, टीम संख्या, सीएचसी का नाम, गांव का नाम, टीम सदस्यों के नाम, पीएचसी का नाम, आशा का नाम व फोन नंबर समेत पूरा विवरण लेकर गहनता से छानबीन की जा रही है।
काम डबल, पर वेतन वही| कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे चिकित्सकों समेत स्वास्थ्यविभाग के स्टाफ आदि का वेतन डबल करने की घोषणा सरकार द्वारा की गई है, लेकिन विभाग से जुड़ी आशा वर्करों को इस सुविधा से वंचित रखा गया है। जबकि कोरोना मरीजों को ढूंढने के लिए अब आशा वर्करों को फील्ड में उतारा गया है। आशा वर्कर यूनियन की जिला प्रधान सुषमा जड़ौला, जिला सचिव मेनका शर्मा के मुताबिक अभी तक सभी आशा वर्करों को न तो मास्क, गलब्ज, सेनीटाइजर मिले हैं और न ही सरकार ने डबल वेतन देने की घोषणा में शामिल किया। उन्होंने सरकार से मांग की है कि आशा वर्करों को अन्य स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों की तर्ज पर डबल वेतन, सुरक्षा के पीपीई किट तथा फील्ड में जाने के लिए उन्हें पास मुहैया कराए जाएं।
एक हाथ के दस्ताने के साथ होगी कोरोना से सुरक्षा
पूंडरी मेंकोरोना वायरस को लेकर सरकार द्वारा लॉकडाउन किया गया है। सरकार इस बीमारी के बचाव के लिए घरों में रहने और जरूरी हिदायतें भी दी रही हैं। जो लोग इस जंग को जीतने के लिए अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों के जीवन की सुरक्षा में लगे हुए हैं। सरकार उन्हें आधी-अधूरी सुरक्षा उपलब्ध करवा रही है। इस आपदा की घड़ी में आंगनबाड़ी वर्कर घर-घर तक राशन पहुंचाने का काम कर रही हैं। उनकी सुरक्षा के लिए पहले तो कुछ भी उपलब्ध नहीं करवाया गया, जब बार-बार मांग के बाद मिला भी तो वो भी एक हाथ के लिए दस्ताना।
ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या विभाग द्वारा ऐसा किया गया या फिर इसके पीछे भी कोई गोलमाल किया जा रहा है। बात कर रहे हैं पूंडरी ब्लाॅक में स्थित 286 आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत वर्करों की, जिनको 286 ही दस्ताने और मास्क दिए गए। ऐसे में एक हाथ की सेफ्टी से अपने जीवन की सुरक्षा कर पाएंगी। कई आंगनबाड़ी सुपरवाइजरों ने बताया कि ऐसी स्थिति में हम अपनी सुरक्षा कैसे रख सकते हैं जबकि उन्होंने सरकार व प्रशासन से सेनिटाइजर, मास्क व दस्तानों की मांग की थी।
- उनके पास विभाग से ब्लाॅक की 286 आंगनबाड़ियाें के लिए 286 दस्ताने व मास्क ही आए थे जिसके अनुसार उन्होंने एक-एक के हिसाब से बांटदिया। जैसे ही उन्हें कोई समान मिलेगा तो उसके हिसाब से ही आगे समान वितरित कर दिया जाएगा। ओमलता, सीडीपीओ पूंडरी
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