ज्ञान प्राप्ति के लिए आयु की कोई बाध्यता नहीं होती : चैतन्य

श्री मद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ अमर कथा में अारती करती महिलाएं।

श्री कबीर जन कल्याण सेवाश्रम नगर खेड़ा में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ अमर कथा

भास्कर न्यूज | अम्बाला सिटी

माेती नगर स्थित श्री कबीर जन कल्याण सेवाश्रम नगर खेड़ा में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ अमर कथा के 8वें दिन श्रीकृष्ण-उद्धव संवाद, नव योगिश्वरों की कथा, दत्तात्रेय की 24 गुरु की कथा, श्रीकृष्ण के स्वलोक गमन कथा अाैर भागवत के मुख्य श्रोता राजा परीक्षित मोक्ष कथा सुनाई गई।

कथा व्यास आचार्य सनातन चैतन्य महाराज ने कहा कि ज्ञान प्राप्ति के लिए वर्ण, जाति, लिंग, आयु आदि की कोई बाध्यता नहीं होती। व्यक्ति को सारग्राही होना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि ऋषभदेव के सौ पुत्र थे। बड़े पुत्र भरत हुए इन्हीं के नाम से आर्यव्रत का नाम भारत पड़ा। 9 पुत्र पृथ्वी के नव खंड के अधिपति राजा बने, 9 पुत्र योगेश्वर संन्यासी बने, 81 पुत्र कर्मकांडी ब्राहम्ण हुए। कथा समापन पर श्रोताओं ने व्यास पूजन कर आशीर्वाद लिया। यह कथा सतलोकवासी महंत शालिक की पावन स्मृति में आयोजित थी। उनके उत्तराधिकारी महंत बिशाल श्री कबीर आश्रम प्रतापगढ़ कुरुक्षेत्र ने भी लाेगाें काे संबोधित किया। अंत में रमा शास्त्री, साध्वी कोमल, मास्टर मदन गोपाल शर्मा, पंडित रविंद्र नाथ तिवारी ने कथा व्यास आचार्य सनातन चैतन्य व सभी श्रोताजनों के प्रति आभार व्यक्त किया। आरती के पश्चात प्रसाद वितरित किया गया।



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