सुन री दादी सुन री ताई परहेज कर लै नै, जाण प्यारी सै फेर पछतावैगी..


हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान की अध्यक्षता में ऑनलाइन कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। ग्रामोदय अभियान और हरियाणा ग्रंथ अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से कवियों- कवयित्रियों ने रचनाओं का पाठ किया। डाॅ. वीरेंद्र चौहान ने अपनी कविता की पंक्तियों में कहा, जिसके मन म्हें नाम राम का नहीं रहै, माणस म्हारे किसे काम का नहीं रहै।

{प्रतिभा माही ने अपनी कविता में कहा-

मन में राम तन में राम, मेरी तो रग-रग में राम

तुम में राम सब में राम, जग के तो कण-कण में राम

{नीलम त्रिखा ने राम को याद करते हुए कहा-

राम इतना बता दीजिए

तुम्हें ढूंढे तो ढूंढे कहां

अपना पता बता दीजिए

कोरोना से बचा लीजिए रोज आती थी द्वारे तेरे

अब तो मंदिरों पर है ताले पड़े

{मनजीत कौर तुर्का ने कहा-

सीता पहले भी कमजोर नहीं थी,

सीता आज भी कमजोर नहीं है ।

सीता ने पहले भी अपना ओर अपने बच्चों का ख्याल रखा था ।

सीता आज भी अपना ओर अपने बच्चों का ख्याल रख सकती है ।

{असंध के कवि भारत भूषण की पंक्तियां थी-

असुर-संहारक राम प्रभु

नवशक्ति का संचार करो ।

सूर्यवंशी-रघुकुल-भूषण

भारत का उद्धार करो ।

{कवयित्री सविता गर्ग “सावी” ने कहा-

राम का नाम जब मेरे होंठों पर आता है

आत्मा तृप्त हो जाती है मन पुलकित हो जाता है

{कवयित्री सुनीता राणा की कविता थी-

राम तुम्हें लौटना होगा,

मुझे तुम्हारी कमी खलती है,

तुम्हारे युग में, जीना चाहती हूं, जीवन के रस को पीना चाहती हूं, हां, तुम्हे एक वादा करना होगा,

मां सीता की अग्नि परीक्षा अब नहीं होगी

{कवयित्री राशि श्रीवास्तव ने कहा -

मर्यादा पुरुषोत्तम राम हैं, हम सबके वो भगवान हैं

उनके बिन हम अधूरे सभी, उनसे ही चलता हर काम है I

कवयित्री शिवानी दीक्षित ने अपने भाव कहे-

रामजी हर शख्स में समाए हैं

संकट में हमने उनको आजमाएं हैं

राम प्रतिमा नहीं साक्षात भगवान हैं

राम आस्था हैं राम ही राम है

जिसके मन में बसे हो राम

{कवयित्री सीमा गुप्ता की रचना-

फूलों की कोमलता, माधुर्य, मोगरे की खुश्बू,

गुलाब सा रंग,कितना रस है

तुम्हारे नाम में राम

{कवयित्री रजनी राणा ने कहा-

राम- एक शब्द ही काफी हैं आनंद में डूब जाने को,

राम - एक अनुभूति हैं हर दुःख को भूल जाने को,

राम नाम कहने को बस दो अक्षर का सार हैं,

लेकिन ये हमारे अस्तित्व का आधार हैं।

{कवयित्री अरुणा ने कहा -

अब तो आना ही होगा

महापुरुष राम को

इस संसार को बचाने

धर्म का सार सिखाने

ताकि लोग अपनी संस्कृति

के पथ पर लौट आएं

{कवयित्री शीला गहलावत सीरत की कविता के बोल थे-

सुन री दादी सुन री ताई

परहेज कर लै नै, जाण प्यारी सै

फेर पछतावैगी, जाण हाथ तै जावैगी

तू कर ले काम घर मंे भतेरे सै

डॉ. किरण जैन ने कहा-

जीवन की सुलग रही चिंगारी

व्यथा पड़ी जीवन में भारी

इस व्याकुल धरती पर फिर

शांति जल बरसा दो

इस दुखी जगत को प्रभु

फिर हर्षा दो

ग्रामोदय अभियान व हरियाणा ग्रंथ अकादमी ने कराई ऑनलाइन कवि गोष्ठी

अम्बाला | वीडियाे काॅन्फ्रेंस के जरिए अपनी कविताएं सुनातीं प्रतिभा साही, नीलम त्रिखा, मनजीत काैर, भारत भूषण, सविता गर्ग, सुनीता राणा, राशि श्रीवास्तव, शिवानी दीक्षित, सीमा गुप्ता, रजनी राणा, अरुणा, शीला गहलावत और कविताएं सुनते वीरेंद्र सिंह चाैहान व अन्य मेहमान। भास्कर



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