पुरानी किताबों को इधर-उधर ट्रांसफर कर बच्चों को घर बैठे पढ़ाई करने में बन रहे सहारा

लॉकडाउन के चलते बंद पड़े स्कूलों की वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो, इसे लेकर शिक्षा विभाग व स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई का सिस्टम शुरू किया हुआ है, लेकिन बच्चों के पास किताबें उपलब्ध न होने के चलते पढ़ाई सही तरीके से नहीं हो पाती है। इस समस्या को देखते हुए जिंदगी संस्था आगे आई है। संस्था ने अपनी कक्षा की परीक्षा दे चुके विद्यार्थियों से उनकी किताबें लेकर अगली कक्षा में प्रमोट हुए विद्यार्थियों को पहुंचा रहे हैं। संस्था के इस अभियान को सराहते हुए अब शिक्षा विभाग ने उनकी मदद ली है। जिससे बच्चों तक किताबों को पहुंचाया जा सके।

लाॅकडाउन में बच्चों को इधर-उधर घूमते देखा ताे आया आइडिया :

जिंदगी संस्था के प्रधान हरदीप सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के बीच उनकी संस्था की ओर से वार्ड स्तर पर लोगों को कोरोना से बचने के लिए अपील की जा रही थी। इस दौरान उनके सामने बात आई कि बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, ऐसे में वह तरह-तरह के खेलों में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। कोई छत पर पतंग उड़ा रहा है तो कोई कुछ खेल रहा है। बच्चों से बात की तो बताया गया उनके पास किताबें ही नहीं है, वह पढ़ाई कैसे करें। तो सोचा कि क्यों इन बच्चों को किताबें मुहैया कराई जाएं। बस उसके बाद अपने आस-पास के लोगों से बात की उनके बच्चों की किताबें लेकर, उन बच्चों तक पहुंचाई, जिन्हें इनकी जरूरत थी। इसमें स्लम एरिया को पहले कवर किया गया है। इसमें अब तक अशोक नगर, हंस कॉलोनी, स्वामी नगर, शक्ति नगर, गुरुनानकपुरा मोहल्ला आदि कवर किया है।

किताबें देने के लिए माइक पर लोगों से कर रहे अपील, 25 बच्चाें की कर चुके सहायता

इस अभियान की शुरूआत में पहले आस-पास के एरिया में माइक पर आवाज लगाकर लोगों से अपील की कि जो भी लोग अपने बच्चों की किताबें डोनेट करना चाहता है तो अपना नाम लिखवा दे। वहीं जिन्हें जरूरत है, उनके नामों की सूची बनानी शुरू की। शुरूआती तौर पर 10-12 लोगों के नाम सामने आए। उसके बाद अब तक 25 बच्चों को किताबें मुहैया करा चुके हैं।

सरकारी स्कूल के बच्चों तक भी पहुंचाएंगे किताबें
जिंदगी संस्था के इस अभियान की जानकारी प्रशासन तक पहुंची तो सीटीएम अनुभव मेहता ने संस्था को शिक्षा विभाग से मीटिंग कराई। मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी मोनिका ने संस्था से बात की। जिसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग कर इस अभियान के तहत सरकारी स्कूलों के बच्चों को किताबें पहुंचाने पर सहमति बनी। विभाग ने संस्था को कुछ बच्चों की सूची भी मुहैया कराई, जिसके बाद संस्था ने कॉल करके बच्चों से किताबों की जरूरत बारे जानकारी एकत्र करते हुए उन तक किताबें पहुंचाई। इसके तहत छठी से 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को किताबें पहुंचाई हैं। इसके अलावा एक-दो प्राइवेट स्कूल भी हैं, जिनका सिलेबस बदला नहीं है, उनकी किताबें भी एक दूसरे तक पहुंचाने का काम किया है।

संस्था का प्रयास सराहनीय है
^जिंदगी संस्था के इस अभियान की जानकारी मिली तो प्रशासनिक अधिकारियों के साथ इस पर चर्चा की गई। जिला प्रशासन की ओर से संस्था को इसके लिए अधिकारिक मंजूरी भी दी गई है। यह एक अच्छा प्रयास है, इससे ऐसे बच्चे, जिनके पास किताबें नहीं हैं, उन्हें लाभ मिलेगा।'' - देवेंद्र कुंडू, डीईईओ|



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फतेहाबाद। छात्रा को किताबें सौंपते जिंदगी संस्था प्रधान हरदीप सिंह व अन्य।


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