जैसा कि श्रीअवध धाम मंदिर के संस्थापक दाऊजी महाराज ने बताया कि....
भगवान बुद्ध के जीवन के कई ऐसे प्रसंग है, जिनमें सुखी और सफल जीवन के सूत्र छिपे हैं। इन कथाओं के सार को अपनाने से हमारी कई परेशानियां खत्म हो सकती हैं। यहां जानिए जीवन और मृत्यु से जुड़ा एक प्रसंग... प्रचलित प्रसंग के अनुसार बुद्ध अलग-अलग गांवों में भ्रमण करते रहते थे और लोगों को उपदेश देते थे। इसी दौरान एक दिन उनके पास एक महिला पहुंची। उसे पुत्र की मृत्यु हो गई थी। उसका पति भी पहले ही मर चुका था। संतान के मरने पर वह पागल सी हो गई और अपने मृत बच्चे को लेकर पहुंची थी।
महिला रो रही थी, उसने कहा कि तथागत ये मेरा बेटा है, यही मेरे जीवन का एकमात्र आधार है, अगर ये न रहा तो मेरा जीवन व्यर्थ है। कृपा करें, इसे किसी तरह फिर से जीवित कर दें। आप तो कुछ भी कर सकते हैं, मुझ पर दया करें। बुद्ध ने कहा कि ठीक है। मैं तुम्हारे बेटे को फिर से जीवित कर दूंगा, लेकिन पहले तुम्हें मेरा एक काम करना होगा। तुम गांव के किसी ऐसे घर से मुट्ठी भर अनाज ले आओ, जहां कभी भी किसी की मृत्यु न हुई हो। पुत्र के जीवित होने की बात सुनकर महिला खुश हो गई, उसने सोचा कि ये काम तो छोटा सा है। मैं अभी ऐसा घर खोज लेती हूं। वह बेटे का शव बुद्ध के सामने छोड़कर गांव में निकल गई।
गांव के एक-एक घर जाकर कहने लगी कि अगर तुम्हारे घर में किसी की मृत्यु न हुई हो तो मुझे एक मुट्ठी अनाज दे दो। सुबह से शाम हो गई, लेकिन उसे गांव में ऐसा एक भी घर नहीं मिला, जहां कभी किसी की मृत्यु न हुई हो। महिला को ये समझ आ गया कि मृत्यु तो अटल है और इससे कोई बच नहीं सकता है। एक दिन सभी को मरना ही है।
वह तुरंत ही गौतम बुद्ध के पास लौट आई। उसने बुद्ध से कहा कि आप मेरे बेटे को जीवित न करें, लेकिन मुझे जीवन और मृत्यु का रहस्य समझा दें। बुद्ध ने कहा कि मैंने तुम्हें घर-घर इसीलिए भेजा था, ताकि तुम्हें मृत्यु की सच्चाई मालूम हो सके। जिसने जन्म लिया है, उसे एक दिन अवश्य मरना ही है। मृत्यु ही इस जीवन का स्वभाव है। महिला को बुद्ध की बातें समझ आ गई और उसने बुद्ध से दीक्षा ली। इसके बाद वह भी ध्यान की राह पर चल पड़ी और उसके जीवन में शांति आ गई।
गोस्वामी तुलसीदास ने कहा कि... तुलसी मेरे राम को, रीझ भजो या खीज। भौम पड़ा जामे सभी, उल्टा सीधा बीज॥
इस चौपाई में तुलसीदास कहते हैं कि भूमि में जब बीज बोए जाते हैं तो ये नहीं देखा जाता कि बीज उल्टे पड़े हैं या सीधे, लेकिन समय आने पर सभी बीज अंकुरित होते हैं और सभी उल्टे-सीधे बीजों फसल तैयार हो जाती है। ठीक इसी तरह भगवान का ध्यान करने का फल जरूर मिलता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2zuqd5B
via IFTTT