हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि) भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), नई दिल्ली; स्टूडेंट फॉर होलेस्टिक डेवलपमेंट ऑफ ह्यूमेनिटी (शोध), के सहयोग से शोध प्रविधि पर केंद्रित शुरू हुई साप्ताहिक कार्यशाला में रविवार प्रतिभागियों ने हाइपोथिसिस फारमूलेशन एंड टेस्टिंग विषय पर चर्चा की। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरसी कुहाड़ ने हाइपोथिसिस को रिसर्च के लिए महत्वपूर्ण बताया। इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एप्लाइड सांइसेज, दिल्ली के बायोस्टेटिस्टिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष एवं सह आचार्य डॉ. सीबी त्रिपाठी विशेषज्ञ के रूप में ऑनलाइन कार्यशाला के उपस्थित रहे।
डॉ. त्रिपाठी ने हाइपोथिसिस की मूल अवधारणाओं पर प्रकाश डालते हुए चर्चा की शुरूआत की। साथ ही उन्होंने टाइप वन और टाइप टू त्रुटि पर मानचित्र व उदाहरणों के माध्यम से प्रतिभागियों से चर्चा की। डॉ. त्रिपाठी ने सांख्यिकी परीक्षणों पर प्रकाश डालते हुए हाइपोथिसिस के वन-सेंपल तथा टू-सेंपल परीक्षणों और परिकल्पनाओं को विस्तृत रूप से प्रतिभागियों के साथ साझा किया। साथ ही उन्होंने परीक्षण के विभिन्न चरणों पर भी बात की।
उन्होंने पैरामीट्रिक और नॉन-पैरामीट्रिक परीक्षणों पर विस्तार से चर्चा की और विभिन्न परीक्षणों जैसे जेड टेस्ट, टी-टेस्ट, एनोवा, मान- व्हिटनी यू टेस्ट, विलकॉक्सन रैंक-सम टेस्ट आदि पर प्रकाश डाला। सत्र के अंत में, डॉ. त्रिपाठी ने उन स्थितियों पर कुछ प्रकाश डाला, जिनमें विभिन्न सांख्यिकीय परीक्षणों को लागू किया जा सकता है।
कार्यशाला के संयोजक डॉ. आनन्द शर्मा ने बताया कि इस कार्यशाला में देश के विभिन्न विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थानों के 3700 से अधिक प्रतिभागी शामिल होने जा रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में हकेंवि के प्रबंधन अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अजय पाल शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शोधार्थी व विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे।
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