हिसार के एक सरकारी स्कूल में बच्ची के साथ हुई छेड़छाड़ को लेकर मांगी गई स्कूलों की रिपोर्ट पर राज्य बाल संरक्षण आयोग ने असंतुष्टि जाहिर की है। आयोग ने अब दोबारा से सेकंडरी एजुकेश और एलीमेंटरी एजुकेशन डिपार्टमेंट के निदेशक से रिपोर्ट मांगी है।
ऐसे में निदेशालयों की ओर से सभी स्कूलों का दोबारा रिकॉर्ड मांगा गया है। हिसार जिले के एक सरकारी स्कूल में पिछले साल एक छात्रा से छेड़छाड़ हुई थी। इसके बाद दिसंबर में आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा खुद वहां पहुंची। वहां स्टाफ की स्थिति देख उसे चिंताजनक बताया था, क्योंकि उस स्कूल में एक ही फीमेल टीचर थी, वह भी उसी वक्त नियुक्त की गई थी।
स्कूल में 16 साल से कोई फीमेल टीचर नहीं थी। इसके बाद फरवरी में आयोग ने निदेशकों से प्रदेश के सभी कॉ-एजुकेशन वाले स्कूलों की मैपिंग कर पूरी रिपोर्ट देने काे कहा था। जिसमें पूछा गया था कि प्रदेश के को-एजुकेशन वाले स्कूलों में कितने मेल और फीमेल टीचर हैं। इसके बाद विभाग की ओर से रिपोर्ट बनाकर आयोग को भेजी, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं हुआ। क्योंकि उसमें डाटा ठीक नहीं था। इसलिए रिपोर्ट दोबारा मांगी गई है।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब 20 लाख विद्यार्थी पढ़ रहें हैं। राज्य के करीब 14 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले इन स्कूलों में छात्राओं की संख्या भी कम नहीं है। सरकारी स्कूलों में 9 लाख से ज्यादा छात्राएं पढ़ रही हैं। ऐसे में आयोग अब बच्चों के रेशों के साथ यह भी देखना चाहता है कि छात्राओं के अनुसार फीमेल टीचर की संख्या कितनी है। राज्य बाल संरक्षण आयोग के चेयरपसर्न ज्योति बैंदा ने बताया कि हिसार के मामले के बाद हमने निदेशालय से सभी स्कूलों को-एजुकेशन वाले स्कूलों की रिपोर्ट मांगी थी। जो रिपोर्ट मिली, उसमें एरर था। इसलिए दोबारा देने को कहा है। रिपोर्ट मिलने के बाद उसका पूरा विश्लेषण किया जाएगा।
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