घोषणा के बाद रिलीफ कैंपों में हंगामा, सुरक्षा बढ़ाई, रात में प्रवासियों के भागने की आशंका

21 दिन का लॉकडाउन मंगलवार को खत्म हो गया। जिले में बनाए गए रिलीफ कैंपों में ठहराए गए प्रवासियों के चेहरे पर सोमवार से ही खुशी थी। उन्हें इस बात की खुशी थी कि मंगलवार को वे अपने घर जा पाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि सुबह पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 दिन के लॉकडाउन टू की घोषणा कर दी। इसके बाद उनके चेहरे उतर गए। कई की आंखें भर आईं। देखते ही देखते वे हंगामा करने लगे और वहां से जाने लगे। इसी बीच कई सत्संग घरों में हालात बिगड़ते देख वहां पर पुलिस और ड्यूटी मजिस्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने भी इन प्रवासियों को समझाया। लेकिन वे नहीं मान रहे। कोई कहने लगा कि अगर वे घर नहीं गए तो उसकी मां मर जाएगी। वहीं कई ने तो कहा कि उनसे अब यहां पर नहीं रहा जाता। यहां से अच्छा है कि गोली मार दो। इसके साथ ही कुछ ने कहा कि उनके बच्चे घर पर भूखे हैं। अगर वे घर नहीं गए तो वे भूख से मर जाएंगे। लेकिन मजबूर प्रशासन इनके दर्द को घर के लिए जाने का मलहम नहीं लगा पाया।
ससौली रोड स्थित राधा स्वामी सत्संग घर में पहुंच ड्यूटी मजिस्ट्रेट हरदेव कांबोज ने कहा कि जब तक लॉकडाउन है, उन्हें यहां से नहीं जाने दिया जाएगा। वहीं उनको यहां अगर दिक्कत है तो बताएं। उनके समझाने पर भी प्रवासी नहीं माने। हालांकि कुछ का तो कहना था कि अभी तक वे रुके थे, लेकिन अब नहीं रुकेंगे। मौका लगा तो फरार हो जाएंगे। माना जा रहा है कि कुछ प्रवासी रात को यहां से निकलने की प्लानिंग में हैं। यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहीं प्रशासन को यह भी डर है कि कहीं प्रवासी कोई बड़ा विवाद न कर दें। किसी भी तरह के विवाद से निपटने के लिए यहां पर सुरक्षा इंतजाम कड़े किए जाएं। देर शाम एसडीएम दर्शन सिंह और डीएसपी प्रदीप राणा ने भी कैंपों का दौरा किया।
यहां पर इन प्रवासी वर्करों को रोका गया| लॉकडाउन वन की घोषणा के बाद बहुत से प्रवासी अपने-अपने घरों की तरफ चल दिए थे। जब बस-ट्रेन सब बंद थी तो वे पैदल ही चल रहे थे। केंद्र सरकार ने फैसला लिया कि बड़ी संख्या में प्रवासियों के इस तरह से एक से दूसरे स्थान पर जाने से लॉकडाउन टूट रहा है इसलिए सरकार ने फैसला लिया कि जहां पर भी ये प्रवासी हैं। वहीं का जिला प्रशासन उनके वहां ठहरने का प्रबंध करे। यमुनानगर में 3 हजार प्रवासी राधास्वामी सत्संग ब्यास संस्था के सत्संगघरों, निरंकारी भवन और अन्य जगह पर रोके गए हैं। यहां उन्हें सुविधाएं दी जा रही हैं। जब उन्हें यहां रोका गया था तो तब भी बहुत से प्रवासियों ने घर जाने की जिद की थी, लेकिन तब प्रशासन ने उन्हें मना लिया था। लॉकडाउन आगे बढ़ने से उनके सब्र का बांध टूट गया।

मैं रोज बच्चों से फोन पर बात करता हूं तो वे रोते हैं
बिहार निवासी राजेंद्र ने बताया कि उसे सत्संग भवन में रुके 19 दिन हो गए हैं। बच्चे घर पर हैं, लेकिन वह यहां पर है। हर दिन फोन पर बात करता हूं तो बच्चे रोते हैं। एक-एक दिन एक-एक साल के बराबर कटा है। उम्मीद थी कि 14 को यहां से चले जाएंगे, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन आगे बढ़ा तो दिल टूट गया। हम चाहते हैं कि किसी भी तरह सरकार हमें यहां से अपने घर पहुंचा दे। अगर ऐसा नहीं होता तो उनके बच्चे शायद जिंदा न रह पाएं। इसी तरह राजू ने बताया कि उसकी मां बीमार रहती है। उसके ऊपर घर का बोझ है। मां की दवा तक खत्म है। अगर वह जल्द ही घर पर नहीं गया तो उसकी मां मर जाएगी।

जेल भेज दो, गोली मार दो, अब हमें घर जाने दो

पंजाब और अन्य प्रदेशों से यूपी व अन्य प्रदेशों को लौट रहे करीब 500 प्रवासी मजदूर बिलासपुर सत्संग भवन में ठहरे हुए हैं। उनका कहना है कि अब वे अपने-अपने घरों को जाना चाहते हैं। निरंकारी भवन बिलासपुर में ठहरे प्रवासी मजदूर राजकुमार हरिद्वार का कहना है कि वह पटियाला से पैदल चलकर कलानौर बाॅर्डर तक पहुंच गया था। आगे भी वह पैदल चलकर घर जाना चाहता था। यदि प्रशासन उसके जाने का कोई प्रबंध नहीं कर सकता तो वह पैदल ही घर जाने को तैयार है। पर अब वह यहां नहीं रहना चाहता। बाराबंकी के संतोष कुमार का कहना है कि वह अमृतसर से पैदल अपने घर जा रहा था, विनोद व गौतम ने बताया कि वे कानपुर के हैं।

ठाकुर सिंह लुधियाना पंजाब से सीतापुर यूपी, संदीप लुधियाना से जौनपुर यूपी, विश्वास जांलधर से गोरखपुर जा रहा था। एक कश्मीरी मजदूर ने रोते हुुए बताया कि वह जम्मू के पुंछ में अपने घर जाना चाहता है। वह पैदल ही अपने घर अपने बच्चों के पास चला जाएगा। वह यहां रहा तो मर जाएगा। इन सबका कहना है कि यदि उन्हें मौका मिला तो वे कानून तोड़ कर भाग जाएंगे। ठाकुर प्रसाद, अमीर राय बिहार सीतामढ़ी का कहना है कि उसके छोटे-छोटे बच्चे घर पर भूखे मर रहे हैं।

हमने सभी इंतजाम किए हैं, सुरक्षा भी बढ़ाएंगे
ड्यूटी मजिस्ट्रेट हरदेव कांबोज ने बताया कि प्रवासियों को समझा दिया गया है। लॉकडाउन में इस तरह से किसी को जाने नहीं दिया जाएगा। सरकार की तरफ से बुधवार को जो भी गाइडलाइन आएगी, उसके अनुसार आगामी कार्यवाही की जाएगी। यहां पर प्रवासियों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।



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Uproar in relief camps, increased security, fear of migrants fleeing at night after announcement


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