
कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने शहर में मिट्टी बर्तन बनाने वाले कारीगरों के सपनों को भी चकनाचूर कर दिया है। मिट्टी बर्तन बनाकर रखे लेकिन बिक्री न होने की वजह से खाने के भी लाले पड़ गए हैं। थर्माकोल प्लास्टिक के गिलास आदि पर प्रतिबंध लगने के बाद से बिक्री बढ़ी थी।
इस वजह से उन्होंने अधिक बर्तन बनाए थे लेकिन अब न तो चाक चल रहा है और न ही दुकानें खुल रही हैं। घर व चाक पर बिक्री के लिए पड़े मिट्टी के बर्तनों की रखवाली और करनी पड़ रही है। हिसार के अलावा आसपास क्षेत्र के गांव मंगाली, बड़वाली ढाणी, आजाद नगर में प्रजापति समाज के लोग मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते हैं। उनका कहना है कि कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। लोगों को शादी समारोह या तो रद्द करने पड़े या फिर बहुत ही सादा तरीके से रस्म पूरी कर रहे हैं। इसके कारण उनके बर्तनों की बिक्री नहीं हाे रही है। महीनों की मेहनत घर के बाहर रखी है उसकी रखवाली और करनी पड़ रही है। इन हालात में परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है।
भास्कर ने मिट्टी के बर्तनाें की बिक्री करने वालों से बात की ताे इस तरह बयां किया दर्द
- प्रतिदिन 200 रुपये भी नही कमाए जा रहे- गुड्डी
हिसार के जिंदल चौक के पास मिट्टी के बर्तन बेचने वाली गुड्डी का कहना है कि लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन 3 से 4 हजार तक की बिक्री हो जाती थी मगर अब मुश्किल से 200 रुपये की बिक्री हो पा रही है। ऊपर से बर्तनों की निगरानी और करनी पड़ रही है। परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है।
- माली हालत हो गई खराब, माल भी नहीं बिक रहा
चंदन नगर की कमला देवी कहना है की कोरोना की वजह से बर्तन बिक नहीं पा रहे। घर की माली हालत खराब हो गई है, जो कुछ था वह अब खत्म हो गया है। अब किसके आगे हाथ फैलाएं। प्रतिदिन मुश्किल से 200 की बिक्री हो पा रही है यदि यही हाल रहा तो परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल हो जाएगा।
- परिवार का गुजारा भी नहीं कर पाऊंगा
रमेश का कहना है कि गर्मी के सीजन को देखते हुए बर्तन बनाने वालों ने बड़ी संख्या में मटके बनाए। डिजाइनर टोंटी लगे मटकों के साथ छोटी मटकी और गुल्लक, गमले भी तैयार किए। दरअसल आज भी ऐसे लोग हैं जो मटके के पानी को प्राथमिकता देते हैं। मगर इस बार तो 20 हजार से अधिक का घाटा हो गया। परिवार कैसे चलेगा।
ठेले और मटके बेचने भी कर दिए बंद
मनोज ने बताया कि कोई भी मटके खरीदने नहीं आ रहा है। धंधे से जुड़े लोगों ने ठेले पर रखकर मटके बेचने भी बंद कर दिए हैं।
15 दिन से चाक पड़ा है बंद
हिसार के आजाद नगर में रहने वाले रामबीर का कहना है कि लॉकडाउन के चलते कई दिन से चाक पर हाथ तक नहीं लगाया है। प्रशासन से आर्थिक मदद की मांग की है।
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