सरकार के रिकार्ड में भले ही सभी गांवों में सर्विस कॉमन सेंटर स्थापित हो गए। ग्रामीणों को सस्ती दर पर ऑनलाइन योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है, किंतु धरातल पर स्थिति हास्यास्पद बनी हुई है, क्योंकि 50 फीसदी गांवों की सीएससी शहर में पहुंच गई। किसान व ग्रामीणों को विभिन्न योजनाओं के ऑनलाइन आवेदन करने के लिए शहर जाना पड़ता है। मार्केट में ग्रामीणों को महंगा शुल्क अदायगी करने पर सुविधा मिलती है। इतना ही नहीं, ऐसे कई सीएससी संचालकों के तार सरसों के सौदागरों से भी जुड़े बताए जा रहे हैं। जिन पर राजस्थान की सरसों बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन में फर्जीवाड़े के आरोप लग रहे हैं। इसकी पड़ताल में अनेक गंभीर खुलासे होने के आसार बन रहे हंै।
बता दें कि नांगल चौधरी व निजामपुर ब्लॉक में करीब 90 गांव व ढाणियां हैं। जिनमें सरकार ने करोड़ों की लागत से इंटरनेट सप्लाई की केबल बिछा दी। गांव के युवाओं को सर्विस कॉमन सेंटर अलॉट कर दिया। संचालकों को निर्धारित रेटों में ऑनलाइन की सुविधा उपलब्ध करानी होगी। लेकिन कई लालची संचालकों ने अधिक मुनाफा कमाने के लिए हेराफेरी आरंभ कर दी। उन्होंने गांव के नाम से अलॉट सीएससी को शहर में स्थापित कर लिया। यहां साइबर कैफे के रूप में विस्तार करके मनमर्जी पैसे वसूल रहे हैं, जबकि उन्हें इंटरनेट व अन्य चार्ज ग्रामीण क्षेत्र का भरना होता है।
सुत्रों की मानें तो 50 फीसदी गांवों में सीएससी अलॉट होने के बावजूद कार्यरत नहीं। ग्रामीणों को शहर पहुंचकर राशन कार्ड, आधार कार्ड, फसल ब्यौरा, पैन कार्ड, रोजगार, बिजली बिल व अन्य ऑनलाइन से जुड़े काम करने होते हैं। सरकार के निर्देशानुसार सीएससी पर रेट लिस्ट मोटे अक्षरों में चस्पा होनी चाहिए। कुछ योजनाओं का शुल्क बैंक ट्रेजरी के द्वारा वसूला जाएगा, ताकि पारदर्शिता बरकरार रहे। ढाणी जाजमा, नोलायजा, नोलपुर के ग्रामीणों ने बताया कि राशन कार्ड का आवेदन ऑनलाइन करने पर 250 रुपए वसूले गए थे। मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण के लिए 200-300 रुपए प्रति किसान वसूले गए थे। हालांकि कई किसान दूसरे साइबर कैफे पर रेट की ट्राई भी करते हैं, किंतु उनके पास सरकारी साइटों के यूजर नेम पासवर्ड नहीं होते। जिस कारण वे किसानों की मदद करने में सफल नहीं होते। ऐसे में सरकार की हाईटेक व भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की योजना सफल होने से पहले धुंधली होने लग गई।
मार्केट कमेटी ने अपनी इच्छानुसार सीएससी नियुक्त की है : डीएम ने बताया कि नियमानुसार जहां जिस मंडी में खरीद होगी, वहां स्थानीय सीएससी संचालक को काम करने की प्राथमिकता मिलेगी। इसलिए नांगल चौधरी मंडी में स्थानीय सीएससी संचालक को भेजा था। किंतु मार्केट कमेटी के सचिव व चेयरमैन ने अपनी इच्छानुसार सीएससी को नियुक्त किया है। उनके कहने पर ही मैंने भी स्वीकृति दे दी।
मार्केट कमेटी का सीएससी से कोई लेनादेना नहीं, कंपनी की जिम्मेदारी : मार्केट कमेटी के चेयरमैन जेपी सैनी ने बताया कि मंडी में टोकन व अन्य ऑनलाइन सुविधा का काम सीएससी संभालती है। कौन सी सीएससी काम करेगी, यह कंपनी को देखना है। सीएससी को लेकर कमेटी से किसी ने भी संपर्क नही किया। उन्होंने कहा कि खरीद को पारदर्शी बनाने के भरसक प्रयास कर रहे हैं।
गांव की सीएससी शहर में काम नहीं कर सकती : सीएससी के स्टेट हैड आशीष शर्मा (चंडीगढ़) ने बताया कि गांवों के नाम अलॉट सीएससी शहर में काम नहीं कर सकती। यदि कहीं ऐसा हो रहा है तो नियमों के खिलाफ है। डीएम से रिपोर्ट तलब की जाएगी, पुष्टि होने पर उनकी आईडी को बंद करने तथा कानूनी कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।
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