रजिस्ट्रेशन न होने से मंत्री को दी शिकायत, चेयरमैन बोले-300 लोगों ने दूसरे राज्यों से 12वीं की, जांच जरूरी

हरियाणा फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन न होने और डिप्लोमा-डिग्री पर उठ रहे सवालों के बीच अब स्वास्थ्य विभाग पूरे मामले की जांच कराएगा। जांच का जिम्मा एनएचएम के डॉयरेक्टर एमसीएच डॉ वीके बंसल काे सौंप दिया है। फार्मेसी कर चुके विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन न होने पर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से शिकायत की है। विज ने यह शिकायत एसीएस राजीव अरोड़ा को भेजी तो उन्होंने जांच शुरू कराई।

विद्यार्थियों ने चेयरमैन धनेश अधलखा पर रजिस्ट्रेशन न करने के आरोप लगाए हैं। लेकिन उनका कहना है कि करीब 300 स्टूडेंट्स का मामला है। काफी संख्या में स्टूडेंट्स ने छत्तीसगढ़ से 12वीं पास कर पंजाब से फार्मेसी की है। कई हिमाचल व राजस्थान समेत कई अन्य राज्यों के मामले हैं। ऐसे में उन्होंने मार्च में ही स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को इनके नाम, पते समेत पूरा इंडेक्स बनाकर रिपोर्ट दी थी और पूरे मामले की जांच विजिलेंस से कराने का आग्रह किया था।

उनका कहना है कि जब हरियाणा में 12वीं हो रही है तो बाहर केसे जा रहे हैं। 45-45 साल के लोग छत्तीसगढ़ से 12वीं कर रहें हैं। चेयरमैन ने कहा कि गुजरात फार्मेसी ने केंद्र को राजस्थान और पंजाब के कुछ कॉलेजों की शिकायत दी थी, जिसके बाद मान्यता रुकी है। ऐसे में फार्मेसी करने वालों का बिना जांच कैसे रजिस्ट्रेशन हो सकता है।

धनेश अधलखा, चेयरमैन, फार्मेसी काउंसिल ने कहा कि मैं जांच के लिए तैयार हूं। मैंने डेढ़ साल में किसी का रजिस्ट्रेशन नहीं किया। मैंने तो स्वास्थ्य मंत्री को मार्च में ही करीब 300 डिप्लोमा की विजिलेंस से जांच करने की सिफारिश की थी।

राजीव अरोड़ा, एसीएस, हेल्थ: मामले में शिकायत की कॉपी आई थी। इसकी पूरी जांच के लिए एनएचएम के डायरेक्टर एमसीएच डॉ. बंसल को जांच सौंप दी है। इसमें चेयरमैन की शिकायत भी शामिल कर जांच होगी।

प्रदेश में एक साल की इंटर्नशिप करने पर ही किया जाएगा पंजीकरण
चीन से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वालों को अब हरियाणा मेडिकल कौंसिल में पंजीकरण तभी होगा जब वे पहले एक साल की इंटर्नशिप पूरी करेंगे। अब तक चीन से एमबीबीएस या अन्य कोई भी डॉक्टरी कोर्स करने के बाद सीधे पंजीकरण हो जाता था।

परंतु अब एक साल की इंटर्नशिप की अनिवार्यता लागू कर दी गई है। अब किसी का भी सीधे पंजीकरण नहीं होगा। माना जा रहा है कि चीन में डॉक्टरी की पढ़ाई पर खर्च यहां से कुछ सस्ता है। हालांकि वहां एमबीबीएस की डिग्री छह साल में पूरी होती है और भारत में इसके लिए पांच वर्ष तय है। लेकिन फिर भी वहां सस्ती पढ़ाई होने की वजह से हरियाणा से ही करीब 200-300 वहां से पढ़कर आ रहें हैं।



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हरियाणा राज्य फार्मेसी कौंसिल के चेयरमैन धनेश अदलखा। फाइल फोटो


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