वैश्य शिक्षण संस्था में बीते एक महीने से चल रहे विवादों के बीच शनिवार को अचानक चुनाव प्रक्रिया रोकने का फैसला ले लिया गया। महासचिव डॉ. चंद्र गर्ग ने जिला रजिस्ट्रार सोसायटी को पत्र लिखकर खुद ही चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी। हैरानी की बात यह है कि अब तक दो बार जिला सोसायटी रजिस्ट्रार और एक बार डीसी की ओर से पत्र व्यवहार कर चुनाव प्रक्रिया व बैठक को लेकर रोक लगाने को कहा गया था। भाजपा कार्यालय में भी विवाद सुलझाने के लिए बैठक की गई थी, लेकिन महासचिव ने किसी की न सुनकर चुनाव प्रक्रिया को जारी रखा।
अब 105 कॉलेजियम पर केवल 66 नामांकन आने के बाद कोरोना और समाजहित का हवाला देते हुए महासचिव ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी। शनिवार को नामांकन वापसी का अंतिम दिन था और 5 जुलाई को कॉलेजियम के चुनाव कराए जाने थे। ऐसे में अब संस्था दोराहे पर आकर खड़ी हो गई है। गेंद सरकार के पाले में डाल दी गई है।
अब सरकार या तो संस्था में तत्कालीन चल रही गवर्निंग बॉडी काे ही कोरोना काल तक एक्सटेंशन दे सकती है या फिर इस पर प्रशासक तैनात कर संस्था की देखरेख की जा सकती है। खैर, यदि वैश्य संस्था पर प्रशासक बैठता है तो यह शहर की तीसरी बड़ी ऐसी संस्था होगी जो अब प्रशासक के हवाले जा रही है। इससे पहले जाट शिक्षण संस्था और गौड़ ब्राह्मण शिक्षण संस्था पर भी प्रशासक पहले से तैनात हैं।
चुनाव में कोराेना की वजह से यह आती बड़ी अड़चन: वैश्य शिक्षण संस्था में 25 हजार आजीवन सदस्य हैं, लेकिन इनमें से सक्रिय सदस्य करीब 16 हजार हैं, जिन्हें वोट डालने का अधिकार है। इसके अलावा 105 कॉलेजियम वाली इस संस्था में 47 कॉलेजियम ही रोहतक से जुड़े हुए हैं, बाकि के 58 कॉलेजियम हरियाणा के अन्य जिलों व दिल्ली-गाजियाबाद में हैं। ऐसे में चुनाव प्रक्रिया होने पर हरेक कॉलेजियम की व्यवस्था व उनके हाॅट स्पॉट से रोहतक में आने पर कोरोना का संक्रमण बड़ा खतरा बन सकता था। इसका हवाला स्वयं आजीवन सदस्यों ने अपने पत्राें में किया है।
इनसाइड स्टोरी : कई पूर्व प्रधानों के विरोध में आने पर भी बदला मन
संस्था से जुड़े वरिष्ठ सदस्य बता रहे हैं कि महासचिव डॉ. चंद्र गर्ग का साथ देने वालों ने ही जब सुर बदलने शुरू किए तो उन्हें यह फैसला लेना पड़ा। रोहतक में लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामलों ने उन्हें और मजबूर कर दिया कि प्रक्रिया रोकी जाए। संस्था के बैंक खाते भी बंद पड़े हैं। ऐसे में चुनाव करवाना चुनौती से कम नहीं था। इसके अलावा लोगों की ओर से अपील आने लगी कि कोरोना के इस संकट के दौर में वे चुनाव में कैसे शामिल होंगे।
दिल्ली से एक आजीवन सदस्य ने जिला रजिस्ट्रार को पत्र लिखा कि महामारी के समय में वे चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने के लिए कैसे आ सकते हैं। चौबीसी परिवार ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने, पूर्व महामंत्री विजय लक्षमीचंद्र गुप्ता की ओर से प्रशासक बिठाने की बात कही गई। महाराजा अग्रसेन विकास ट्रस्ट की ओर से भी अपील की गई। इसके बाद कुछ पूर्व प्रधानों नवीन जैन, रामचेत तायल व राजेंद्र बंसल की ओर से डीसी से चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए, जैसी अपील सामने आई।
कुल मिलाकर 18 पत्र चुनाव प्रक्रिया टालने को लेकर ही जिला रजिस्ट्रार में पहुंचे। इसके बाद से अपने गुट के मुख्य सलाहाकारों के ही पीछे हट जाने के बाद डॉ. चंद्र गर्ग ने भी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने का फैसला लिया।
एक्सपर्ट व्यू : या तो सरकार कार्यकाल बढ़ा सकती है या प्रशासक बैठ सकता है
गवर्निंग बाॅडी के पूर्व प्रधान नवीन जैन कहते हैं कि संस्था में महासचिव की ओर से चुनाव प्रक्रिया रोक देने के बाद अब संस्था के सामने अपना कोई विकल्प नहीं बचा है। अब पूरा मामला सरकार के हवाले जा चुका है। हालांकि पहले तो समाज हित में दोनों पक्षों को मिलकर गवर्निंग बॉडी की बैठक में ही कोई बड़ा फैसला लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। खैर, अब सरकार चाहे तो तत्कालीन गवर्निग बॉडी का समयावधि बढ़ा सकती है, लेकिन विवाद काफी बढ़ चुका है।
प्रधान और महासचिव दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहे हैं। ऐसे में यह समयावधि बढ़ाना थोड़ा मुश्किल सा है। दूसरा विकल्प सरकार के पास प्रशासक का है। सरकार चाहे तो संस्था पर प्रशासक बिठा सकती है, जिससे संस्था का संचालन सरकार यानी प्रशासक के जरिए ही किया जाएगा।
महासचिव बैकफुट पर आए, हमें एक्सटेंशन दें
विकास गाेयल, प्रधान, वैश्य शिक्षण संस्थाने कहा कि पूरे मामले में महासचिव को मुंह की खानी पड़ी है। पहले ही बता दिया था कि ये कोरोना के खतरे के बीच गलत कर रहे हैं। वे अब बैकफुट पर आ चुके हैं। असल में ये शुरू से ही संस्था पर प्रशासक बिठाने की चाल चल रहे थे। सरकार से निवेदन है कि जब तक कोरोना संकट है, चुनाव टालकर हमें एक्सटेंशन दें।
समाजहित में लिया है चुनाव रोकने का फैसला
डॉ. चंद्र गर्ग, महासचिव, वैश्य शिक्षण संस्था ने कहा कि मेरी ओर से चुनाव प्रक्रिया काे राेक दिया गया है। दो दिन पहले जिला रजिस्ट्रार की और से पत्र आया था। इसमें उन्हाेंने काेविड-19 के चलते चुनाव काे स्थगित करने व आजीवन सदस्याें की ओर से न आने की समस्या बताई थी। फिर समाज भी चाहता था कि चुनाव अभी न हो। ऐसे में समाज की बात को ऊपर रखते हुए चुनाव प्रक्रिया को रोक दिया गया है।
पहले ही नियमों का हवाला देकर लिखा था पत्र
राजेश खेड़ा, डिप्टी डायरेक्टर, जिला रजिस्ट्रार सोसायटी ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया को लेकर दोनों ही पक्षों को लिखा गया था कि उनकी ओर से सोसायटी एक्ट के अनुसार ही कार्य किए जाएं, साथ ही कोविड-19 के तहत तय नियमों की पालना करने को लेकर भी पत्र लिखा गया था। इस बारे में 5 जून को भी पत्र भेजा गया है, चूंकि इनकी पालना नहीं की जा रही थी। महासचिव के पत्र की जहां तक बात है, इस बारे में सोमवार को ही कुछ बता पाएंगे।
जाट संस्था में प्रशासक ने टर्म बढ़ाने के लिए लिखा पत्र: जाट शिक्षण संस्था में प्रशासक का कार्यकाल पूरा होने वाला है। संस्था में 16 जुलाई को प्रशासक बैठने के पांच साल पूरे हो जाएंगे। ऐसे में अब कोरोना संक्रमण काल में अन्य काम अटके हुए हैं। वहीं, जाट संस्था में चुनाव का मामला भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
ऐसे में एडीसी एवं प्रशासक महेंद्र पाल की ओर से सरकार को पत्र लिखकर संस्था में प्रशासक का कार्यकाल बढ़ाने के लिए कहा गया है। इस पर सरकार की ओर से मंजूरी दी जानी है। संस्था में करीब 7 साल से चुनाव लंबित पड़े हैं। जाट संस्था में 105 वार्ड हैं, जिसमें लगभग 15500 वोटर हैं।
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