धारा-370 हटने से श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना हुआ साकार

भारतीय जनता पार्टी की ओर से जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर अनेक स्थानों पर कार्यक्रम किए गए। अपने बूथ पर आयोजित कार्यक्रम में उनकी तस्वीर पर पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए जिला अध्यक्ष शिव कुमार महत्ता ने कहा कि सभी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिये गए हैं कि वे अपने-अपने बूथ पर डॉ. मुखर्जी की जयंती मनाएं। उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी महान शिक्षाविद, चिंतक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे।

वे जम्मू- कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू- कश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान था। वहां का मुख्यमंत्री (वजीरे-आजम) अर्थात प्रधानमंत्री कहलाता था। संसद में डॉ. मुखर्जी ने धारा 370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत करते हुए कहा कि एक देश में दो निशान व दो विधान नहीं हो सकते। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े।

वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद कर दिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परीस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। महत्ता ने कहा कि अब वर्ष 2020 में भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार ने डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का सपना कश्मीर से धारा 370 व 35 ए हटाकर साकार किया है। इस मौके पर उनके साथ महंत प्रेमदास, मोहनलाल नंबरदार, मनोज कुमार, महेश महता, गौतम यादव, आनंद महता मौजूद रहे।

श्यामा प्रसाद चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहे : मंत्री ओमप्रकाश

नारनौल। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव ने कहा कि स्व. डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की सोच थी कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहे। भारत में जम्मू कश्मीर में एक ही झंडा हो एक ही संविधान हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त कर उनके सपने को साकार किया है। उन्होंने कहा कि अगस्त 1952 में जम्मू कश्मीर की विशाल रैली में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संकल्प लिया था कि या तो जम्मू कश्मीर में समूचे भारत में जो संविधान लागू होता है उसको लागू कराऊंगा या इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपने जीवन को बलिदान कर दूंगा।



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