सरकारी धान का चावल लौटाने में 4 जिले सबसे पीछ, 90 फीसदी से कम चावल देने वाले मिलों में होगी फिजीकल वेरीफिकेशन

प्रदेश के 10 जिलों में चावल मिल मालिकों द्वारा सरकारी धान का चावल निकालकर लौटाने के मामले में चार जिले सबसे पीछे हैं। इनमें करनाल, कुरुक्षेत्र, पलवल और यमुनानगर शामिल हैं। कई जिलों में 90 से 100 फीसदी तक चावल निकालकर सरकार को लौटाया जा चुका है, जहां यह आंकड़ा 90 फीसदी तक नहीं गया है।

उन जिलों में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने फिजीकल वेरीफिकशन कराने का निर्णय लिया है। 15 जुलाई तक इन चावल मिलों को सरकार का चावल लौटाने का समय दिया गया है। जबकि तब तक खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की टीमें पीवी कर अपनी रिपोर्ट विभाग के एसीएस को सौंप देंगी। ताकि आगामी रणनीति बनाकर सरकार का पूरा चावल मिल मालिकों से लिया जा सके।

इन 10 जिलों में जाता है अधिक धान : अम्बाला, फतेहाबाद, जींद, हिसार, कैथल, सिरसा, करनाल, कुरुक्षेत्र, पलवल व यमुनानगर जिलों में सबसे अधिक धान सरकार की ओर से चावल मिल मालिकों को मिलिंग के लिए दिया जाता है। अब तक की रिपोर्ट के अनुसार सरकार को अम्बाला के चावल मिलों से 94 फीसदी, फतेहाबाद में 99, जींद और हिसार में 100 फीसदी, सिरसा में 99.25, करनाल में 80, कुरुक्षेत्र में 81.5, पलवल में 84 और यमुनानगर में 89 फीसदी धान का चावल मिल मालिकों ने सरकार को लौटाया है।

सरकार ने 35.37 लाख टन दिया था धान
इन 10 जिलों मेंखाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने मिलिंग के लिए चावल मिल मालिकों को 35.37 लाख टन धान दिया था। इसके बादले 23.70 लाख टन चावल मिलना है। इसमें से करीब 20.31 लाख टन चावल आ चुका है, इसका प्रतिशत कुल मिलाकर 85 फीसदी है। प्रदेश मेंकरीब 15 लाख हेक्टेयर में धान होता है, इसमें से 55 से 60 फीसदी मोटे धान का उत्पादन होता है। इसकी खरीद सरकार द्वारा की जाती है और चावल निकालने के लिए चावल मिलों को धान मुहैया कराया जाता है। बदले में सरकार मिलिंग करने की राशि भी देती है।

धान लौटाने का समय बढ़ाया
कोरोना की वजह से मजदूर न मिल पाने के कारण चावल मिल मालिक जहां धान से चावल नहीं बना पाए हैं, उन चावल मिल मालिकों को 15 जुलाई तक का समय मिलिंग के लिए दिया गया है। यही नहीं कई चावल मिलों में सरकार की ओर से अबकी बार गेहूं खरीद केंद्र बनाए गए थे, इस कारण भी चावल की मिलिंग में समय लग रहा है।

इसलिए पड़ी पीवी की जरूरत
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग भी मान रहा है कि कोराेना की वजह से मिलिंग में देरी हुई है, साथ ही काफी संख्या में चावल मिलों में गेहूं के खरीद केंद्र बनाए गए थे। इस कारण भी देरी हो सकती है। फिर भी विभाग यह जानना चाहता है कि देरी एक वजह है, फिजिकल वेरीफिकशन से यह पता चल जाएगा कि संबंधित चावल मिल में धान रखा है या नहीं। यदि धान रखा है तो उसे रिकार्ड में दर्ज किया जाएगा।

85 % तक चावल आ चुका
प्रदेश में मिलिंग का चावल 85 फीसदी तक आ चुका है, जहां 90 फीसदी से कम चावल आया है, उन चावल मिलों मेंफिजीकल वेरीफिकिशन कराई जाएगी। 15 जुलाई तक चावल लौटाना होगा। नहीं तो संबंधित चावल मिल मालिक के खिलाफ कार्रवाई होगी।पीके दास, अतिरिक्त मुख्य सचिव, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, हरियाणा।




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प्रतीकात्मक फोटो


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