एचएयू के कुलपति ने किसानों से धान की सीधी रोपाई करने का आह्वान किया, कुलपति ने वैज्ञानिकाें के साथ किया विचार-विमर्श

प्रदेश में भूजल के गिरते स्तर व रिचार्ज को लेकर प्रदेश सरकार की याेजना ‘मेरा पानी व मेरी विरासत’ को सार्थक सिद्ध करने में धान की सीधी बिजाई मददगार साबित होगी। उक्त विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह ने किसानों से धान की सीधी रोपाई करने का आह्वान करते हुए व्यक्त किए। वे धान की सीधी बिजाई वाले क्षेत्रों का दौरा करने वाले वैज्ञानिकों से विचाार-विमर्श कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि ‘मेरा पानी, मेरी विरासत व प्रवासी मजदूरों की समस्या को ध्यान में रखते हुए किसानों द्वारा काफी क्षेत्रफल में धान की विभिन्न किस्मों की सीधी बिजाई की गई है। किसानाें ने धान की सीधी बिजाई प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग व विवि के सस्य विज्ञान विभाग की देखरेख में की है। प्रो. सिंह ने बताया कि फतेहाबाद जिले के रतिया, भूना, फतेहाबाद व टोहाना क्षेत्रों में लगभग 1200 एकड़ भूमि में धान की सीधी बिजाई की गई है।

वैज्ञानिकों की टीम ने किया खेतों का दौरा, समस्या निदान की दी सलाह
एचएयू के सस्य विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. सतबीर सिंह पूनिया, कृषि एवं किसान कल्याण रतिया से डॉ. सुखविन्दर दंदीवाल, वैज्ञानिक डॉ. टोडरमल पूनिया व सस्य विज्ञान विभाग के वरिष्ठ तकनीकी सहायक मनजीत जाखड़ की टीम ने धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों के खेतों का निरीक्षण किया। टीम सदस्यों ने बताया कि किसानों की फसल अच्छी खड़ी थी व किसान भी सीधी बिजाई करके खुश थे।

डॉ. सतबीर सिंह पूनिया ने बताया कि केवल टोहाना के कुछ क्षेत्रों में बिजाई के तुरन्त बाद बारिश आने व करंड तोड़ने के लिए किसानों द्वारा बार-बार खेत की सिंचाई करने पर खरपतवारों की समस्या पैदा हुई थी। इस क्षेत्र के काफी किसानों ने प्रवासी मजदूरों की आसानी की उपलब्धता होने से सीधी बिजाई वाले खेतों के कद्दू करके धान की पनीरी लगा दी है।

इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा धान की पराली व गेहूं का नाड़ जलाने पर प्रतिबंध लगाने की वजह से गेहूं व धान की फसल में सस्य क्रियाओं में बदलाव से कुछ खेतों में चूहों की समस्या ज्यादा भी देखने को मिली, जिसके नियंत्रण हेतु कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को विभिन्न रसायनिक व पारम्परिक विधियों के बारे में जानकारी दी गई।

खरपतवाराें पर नियंत्रण जरूरी, ऐसे करें छिड़काव
खेतों का दौरा करने के बाद वैज्ञानिकों ने बताया कि धान की सीधी बिजाई में खरपतवारों द्वारा नुकसान ही पैदावार में कमी का सबसे बड़ा कारण है। बिजाई के 25-30 दिन बाद काफी खरपतवार उग जाते हैं। इसलिए किसान समय रहते इन खरपतवारों की पहचान करके खरपतवारनाशी द्वारा उनका नियंत्रण करें।



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