न दूध को जा सके और न ही दवा के लिए, पुलिस बाहर निकलते ही दिखाती है डंडा

गांव ममीदी और शादीपुर। दोनों ही बड़ी-बड़ी प्लाईवुड की फैक्ट्रियों से घिरे हुए एरिया हैं। लाॅकडाउन से पहले इन एरिया में दिन रात लाेगाें का अावागमन हाेता था, क्याेंकि दिनरात फैक्टरियां चलती हैं। लेकिन अब यहां पर सब ठहर गया है। क्योंकि दोनों ही गांवाें (दोनों एरिया नगर निगम में है, लेकिन आज भी गांव बोले जाते हैं) में जमात से लौटे तीन लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इसलिए प्रशासन ने दोनों गांवाें काे सील कर दिया है। यहां लोग घरों में कैद हाेकर रहे गए हैं। जिससे भी बात की गई सभी ने कहा कि अब डर लगने लगा है। भले ही अपने घर में हैं और पुलिस के पहरे में हैं, लेकिन इसके बाद भी अजीब सा डर बना हुअा है। ममीदी और शादीपुर में छह से सात हजार की आबादी है। दोनों एरिया को प्रशासन ने सील कर कांटेनमेंट जोन घोषित किया है। कहने को तो प्रशासन यहां पर जरूरी सामान की डिलीवरी घर-घर तक पहुंचाने की बात कर रहा है, लेकिन दो दिन से सील ममीदी में सोमवार तक कोई सामान प्रशासन ने नहीं पहुंचाया। वहीं शादीपुर रविवार को सील किया गया था, लेकिन सोमवार को यहां भी जरूरी सामान नहीं पहुंचाया गया।
 ऐसा नहीं है कि यहां जरूरी सामान की जरूरत नहीं पड़ी। इतना जरूर हो सकता है कि प्रशासन तक इसकी डिमांड न आई हो। ज्यादा दिक्कत यहां प्रवासी मजदूरों को है, क्योंकि उनके पास पहले ही कम राशन था। वहीं लोगों को यह भी नहीं पता कि जरूरत के सामान के लिए बात किससे करें। उन्हें सामान कैसे मिलेगा, इसकी मुनादी होनी चाहिए। दूध, सब्जी व आटा तो सभी की जरूरत है।

इन पर सामान पहुंचाने का जिम्मा
वहीं सामान की आपूर्ति की जिम्मेदारी प्रशासन ने डीएफएससी राजेश आर्य को दी है। उन्होंने बताया कि दोनों एरिया से किसी तरह की डिमांड नहीं आई। डिमांड के लिए लोग कंट्रोल रूम में फोन कर सकते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि वे माेबाइल पर या टीवी पर समय काट रहे हैं। वहीं पूरा दिन परिवार वालाें के बीच काेराेना काे लेकर ही बात हाेती है।

न दूध मिला और न ही दवा
ममीदी के किसान नरेश ने बताया कि गांव में न तो दूध की सप्लाई हुई और न ही दवा लेने के लिए बाहर जाने दिया। उनकी भाभी का पीजीआई से इलाज चल रहा है। गांव में पहुंचे स्वास्थ्य कर्मियों से दवा को लेकर बात की तो कहा कि डीसी से परमिशन लेकर ही दवा लाई जा सकती है। वहीं किसान प्रदीप व गुलाब सिंह का कहना है कि उन्हें अपने खेतों में जाने की अनुमित नहीं है। ऐसे ताे उनकी गन्ने की फसल सूख जाएगी। वहीं मिल में गन्ना नहीं पहुंचा पाएंगे।

चाेराें की तरह लेकर आए पशुओं का चारा

ममीदी में कई लाेगाें ने पशु पाल रखे हैं। उनके लिए उन्हें अलसुबह ही खेतों से जाकर पशुओं के लिए चारा चोरों की तरह लेकर आना पड़ा। वहीं शादीपुर के रविंद्र कुमार ने बताया कि परिवार में चार बच्चे हैं। सुबह दूध वाले को फोन कर बुलाया। जब वह दूध वाले के पास जा रहा था ताे उसे पुलिस ने देख लिया, लेकिन उसने रिक्वेस्ट की तो उसे दूध लेने की इजाजत दी गई।



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Neither milk nor medicine can be used, police show rung as soon as they go out


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