कहीं खूंटी पर टंगी ताे कहीं गाड़ी में रखी अस्थियों को विसर्जन का इंतजार

कोरोना ने न सिर्फ जिंदगी जीने के तरीके बदल दिए हैं, बल्कि मौत की रस्में भी बदल दी हैं। जिले में कोरोना से भले ही अब तक एक भी माैत न हुई हाे। लेकिन दूसरी बीमारियों डायबिटीज, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर से या प्राकृतिक वजहों से मौतें जारी हैं। बदले हुए हालात में अब न तो अर्थी चार कंधों पर श्मशान तक जाती है, न चिता के आसपास अपनों की भीड़ जुटती है। अंतिम संस्कार के बाद न तीये की बैठक बुलाई जाती है और न तेरहवीं होती है। कोरोना ने मौत के बाद होने वाली ये सारी रस्में बदल दी हैं। सम्पन्न परिवार शोक सभा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे हैं। कई बार अंतिम दर्शन के लिए भी ऑनलाइन ऐप की मदद ली जा रही है।
किसी की मृत्यु पर भेजे जाने वाले शोक संदेशों में इन दिनों एक कॉमन लाइन लिखी जा रही है- लॉकडाउन के कारण दिवंगत आत्मा की शांति हेतु घर से ही प्रार्थना करें। सभी शोक संदेशों में यही निवेदन होता है कि रिश्तेदार अपने घर से श्रद्धांजलि मैसेज मोबाइल के जरिए भेज दें। यहां तक कि लोगों से अंतिम संस्कार में शामिल न होने की अपील भी की जाती है। ऐसा करने का संदेश सिर्फ इतना ही है कि रस्में निभाने से जीवन को बचाना ज्यादा जरूरी है। जनसेवा दल के सचिव चमन गुलाटी बताते हैं कि लोग क्रियाकर्म को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं। कई बार बहुत समझाने के बाद ही वे मानते हैं।लॉकडाउन के चलते अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए परिजनों को इंतजार करना पड़ रहा है। लाेगाें के हमारे पास 50 अस्थियां रखी हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद उन्हें गंगा में प्रवाहित करेंगे। इसी तरह कब्रिस्तान व चर्च में भी इन नियमों का पालन हो रहा है। सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए शव दफनाएं जा रहे हैं।


सख्ती : शव गाड़ी में ले जाएं, 20 लोग से ज्यादा न हों
महामारी के चलते धार्मिक समारोहों पर रोक के साथ-साथ अंतिम संस्कार के लिए भी सरकार ने नियम तय किए हैं। इनके अनुसार अंतिम संस्कार में 20 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकते। शव को श्मशान तक वाहन में ले जाना होता है। अंतिम यात्रा निकालने की अनुमति नहीं है। श्मशान तक परिवार के चार से दस लोग ही जा रहे हैं। वे अपने साथ मास्क और सैनेटाइजर भी ले जा रहे हैं। मोक्षधाम के कर्मी भी दूरी बनाते दिखते हैं।

कहां कितनी अस्थियां लाॅक
1.
जनसेवा दल के सदस्य प्रधान कृष्ण मनचंदा व सरपरस्त कैलेश ग्राेवर ने बताया कि उनके पास 11 अप्रैल तक 50 अस्थियां रखी हुई हैं।
2. दाेनाें नहराें के बीच असंध राेड स्थित स्वर्गपुरी के प्रधान ओम प्रकाश ने बताया कि उनके पास 32 अस्थियां रखी हुई हैं
3. तहसील कैंप लघु सचिवालय के पास शिवधाम के प्रधान सुभाष गुलाटी ने बताया कि उनके पास 11 अस्थियां रखी हुई हैं
4. नूरवाला स्थित शिवपुरी के प्रधान हरीश ने बताया कि उनके पास 11 अस्थियां रखी हैं।



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Somewhere hung on the peg, somewhere the bones kept in the car awaiting immersion


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