केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए पानीपत थर्मल पावर प्लांट पर 2.70 करोड़ रुपए हर्जाना लगाया है। केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देश के बाद भी थर्मल पावर प्लांट प्रशासन ने यूनिट्स-6, 7 व 8 से प्रदूषण कम करने के लिए कोई उपाय नहीं किए। 11 दिसंबर 2017 को मंत्रालय ने आदेश दिया था कि 2 साल में तीनों यूनिट्स से निकलने वाले सफ्लर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड व पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) को नियंत्रण करने के लिए उपकरण लगाए जाएं।
31 दिसंबर 2019 तक का समय दिया गया था। इसके लिए 225 करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे। लेकिन थर्मल प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाए। अब सीपीसीबी ने 18 लाख रुपए प्रति यूनिट प्रति महीना हर्जाना जमा कराने को कहा है। यह हर्जाना 1 जनवरी 2020 से 5 जून 2020 तक लगेगा। इस तरह से 5 माह का 2.70 करोड़ रुपए बनता है।
3 करोड़ रुपए का पहलेभी लग चुका है हर्जाना
राख नहीं उठाने पर जाटल गांव की पंचायत की शिकायत पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 5 दिसंबर 2019 को पानीपत थर्मल प्रशासन पर 3 करोड़ रुपए का हर्जाना ठोका था। थर्मल की बनाई झील में 300 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा आज भी राख जमा है।
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