महिला का कटा गला देख पति को पीट रहे थे लोग, तब बोली मैंने खुद काटा ढाई घंटे बाद पता चला बेटियों का भी गला रेतकर तिरपाल से ढक रखा था

बरवाला के गांव खेदड़ से पाबड़ा मार्ग पर झुग्गियों में 2 बेटियों 3 साल की ममता और 1 साल की किरन की गला रेतकर हत्या करने के बाद मां ने खुद का गला काटकर खुदकुशी का प्रयास किया। इस मामले में बरवाला थाना पुलिस की जांच में नये तथ्य सामने आए हैं।

बरवाला थाना के एसएचओ कुलदीप ने बताया कि जिस वक्त महिला ने चाकू से गला काटा था, तब किसी को नहीं पता था कि उसकी दोनों बेटियों का गला रेतकर तिरपाल के नीचे छुपाया हुआ है। महिला को लहूलुहान देखकर आसपास मौजूद लोगों ने शोर मचाया था। तब किसी ने स्थानीय डॉक्टर को बुलाया था। उसने आकर एंबुलेंस बुलाई। यह बात महिला के पति अहमद व रिश्तेदार को पता चली थी। दोनों तुरंत झुग्गी में पहुंच गए थे। उस दौरान लोगों ने अहमद को पकड़कर पीटना शुरू कर दिया था।

डॉक्टर ने बताया था कि उस महिला के आखिरी शब्द थे, उसने नहीं मैंने खुद काटा है। तब लोगों ने उसे छोड़ा था। महिला को एंबुलेंस से सिविल अस्पताल पहुंचा दिया था। तब किसी को उसकी बेटियाें के साथ हुई क्रूरता का पता नहीं था। करीब ढाई घंटे बाद बच्चियों को संभाला तो झुग्गी में तलाशी के दौरान तिरपाल के नीचे ढकी मिली थी। उनका गला बुरी तरह काट रखा था। आसपास के लोगों ने बताया कि बड़ी बेटी ने खेलते वक्त आटे में मिट्टी डाली थी।

तब महिला ने बेटी को पीटा था। उस दौरान जानलेवा कदम नहीं उठाया था। इसके बाद क्या हुआ, कैसे हुआ, क्यों हुआ किसी को नहीं पता है। एसएचओ कुलदीप के मुताबिक पति पर शक इसलिए नहीं, क्योंकि वह सुबह मजदूरी पर चला गया था। घटना का पता चलने पर पत्नी चरायां के रिश्तेदार के साथ वापस लौट था। महिला के खिलाफ मूलत: राजस्थान के हनुमानगढ़ के गांव भिराण निवासी अहमद की शिकायत पर हत्या, आत्महत्या का प्रयास इत्यादि धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है।

पति बोला -

मेरा तो परिवार बर्बाद हो गया: मेरा परिवार पूरी तरह बर्बाद हो गया। कोई बात ही कोनी। सुथरी मजदूरी करा हां, अर बालकां का पेट भरां हां। मेह तो ठीक ठाक छोड़कर काम पर ग्यो था। माहनै के बेरो पाछे के होण रहो। यह कहते हुए वह फफक पड़ा।

एक्सपर्ट व्यू : 2 घंटे की सर्जरी कर जोड़ी कंठ और श्वास नली

सिविल अस्पताल के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. विमल जैन ने बताया कि करीब 25 वर्षीय महिला की हालत काफी नाजुक थी। इसका कंठ व श्वास नली के साथ गर्दन की नसें कटी हुईं थी। ऐसे में वह सांस लेती रहे इसके लिए गले में नलकी लगाकर ऑक्सीजन सप्लाई जारी रखी। ऑपरेशन थियेटर में सर्जन डॉ. विनोद तरार, डॉ. निलिमा, ओटी व इमरजेंसी स्टाफ के सहयोग से करीब 2 घंटे तक सर्जरी करके कटे कंठ, श्वास नली और नसों को जोड़ा गया। डॉ. जैन ने बताया कि अंदेशा है कि महिला ने खुद का गला चाकू से काटा है। इतनी क्रूरता से कोई खुद का डिप्ली गला काटे, ऐसी संभावना बहुत कम है। फिर भी महिला की हालत पहले से बेहतर है। उम्मीद है कि जख्म भरने के बाद वह बोलने लगेगी। वह अभी बोल नहीं पा रही है। जब वह बोलने लगेगी, तब उसके बयान से क्रूर घटना की सच्चाई सामने आएगी।

सीन ऑफ क्राइम के सहायक निदेशक डॉ. अजय ने बताया कि खेदड़ में घटना स्थल का निरीक्षण किया था। बच्चियों की गला रेतकर हत्या करने और फिर मां का गला काटकर सुसाइड का प्रयास क्रूरता का मंजर बयां कर रहा था। जिस तरह बच्चियों के शव पड़े थे, अंदेशा है कि साेते समय उनका गला काटा गया है। कई बार वार का अंदेशा है, जिसकी सच्चाई पोस्टमार्टम में सामने आएगी।

पहले से तनावग्रस्त हो तो छोटी बात पर उठ जाता है बड़ा कदम

^एक रिसर्च में सामने आया है कि अगर कोई व्यक्ति पहले से तनावग्रस्त है, उस दौरान कोई छोटी बात या वाकया अगर उसे अच्छा नहीं लगा और वह दिमाग पर हावी हो जाता है तो उसका परिणाम भयावह हो सकता है। वह व्यक्ति बड़ा बहुत बड़ा कदम उठा सकता है। खुद को शारीरिक-मानसिक हानि पहुंचाने के अलावा किसी की जान तक ले सकता है। खेदड़ प्रकरण में जो प्रारंभिक तथ्य सामने आया है, ऐसा लगता है कि महिला पहले से तनावग्रस्त रही होगी। उसे ऐसी कोई बात जरूर चुभी होगी जिसके चलते बच्चियों की क्रूरता से जान ले ली हो। हालांकि सच्चाई का पुलिस जांच में पता चल सकेगा। -डॉ. नरेंद्र गुप्ता, मनोचिकित्सक।



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वारदात स्थल पर डीएसपी संजय बिश्नोई आसपास के लोगों से पूछताछ करते हुए।


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