(विष्णु नाढोड़ी)किसानों द्वारा धान की फसल में पिछले कई सालों से किए जा रहे भू-जल के दोहन के चलते भू-जल स्तर लगातार गिरने के कारण इस बार सरकार ने रतिया खंड में धान की फसल 50 फीसदी तक घटाने का निर्णय लिया है। एक तरफ जहां कुछ किसान संगठन सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं वहीं खंड के 314 किसानों ने स्वेच्छा से धान की फसल 50 फीसदी घटाने की सहमति जताई है।
इन किसानों ने 875 एकड़ भूमि पर धान नहीं लगाने का निर्णय लिया है। किसानों ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को इस साल धान का रकबा घटाने का पत्र सौंप दिया है।
जानिए...फसल चक्र को अपनाने के ये हैं फायदे
- पानी की बचत : कृषि विभाग के अनुसार धान की रोपाई से फसल पकने तक 1 किलो चावल 3 हजार से साढ़े 4 हजार लीटर तक पानी कन्ज्यूम करता है। ऐसे में एक एकड़ धान की फसल कई लाख लीटर पानी में जाकर तैयार होती है। यदि किसान आधी जमीन पर कम पानी वाली फसलों की बिजाई करेंगे तो केवल रतिया खंड में ही बड़े स्तर पर पानी की बचत होगी।
- भूमि के स्वास्थ्य में सुधार : लगातार एक ही प्रकार की फसल की बिजाई करने से भूमि का स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा इस कारण उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को विभिन्न प्रकार की खाद व दवाइयों का अधिक प्रयोग करना पड़ता है। ऐसे मे यदि किसान फसल विविधीकरण को अपनाते हैं तो भूमि का स्वास्थ्य सुधरता है जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
- निमेटोड जैसी बीमारियों से निजात : बार-बार एक ही फसल की बिजाई करने से निमेटोड की समस्या आ जाती है। ऐसा होने से फसल की जड़ों में गांठें बननी शुरू हो जाती हैं। रतिया क्षेत्र में पिछले कई सालों से किसान सिर्फ धान व गेहूं की ही खेती कर रहे हैं। विभाग के अनुसार इन क्षेत्र में भूमि की ऊपरी सतह हार्ड हो चुकी है जिसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है।
- फसल में बीमारी कम आएगी : क्योंकि रतिया खंड में किसान लगातार गेहूं व धान की ही खेती कर रहे हैं इसलिए इन फसलों में बीमारी भी हर साल अधिक आती है। कृषि विभाग के अनुसार यदि किसान धान की जगह दूसरी फसल की बिजाई करेगा तो इन फसलों में बीमारी भी कम आएगी तथा उत्पादन भी बढ़ेगा।
- दलहन बिजाई की तो 25 फीसदी कम डालना पड़ेगा खाद: फसल चक्र अपनाने वाले किसान यदि अपनी जमीन में दलहन की फसलों में जैसे मूंग आदि की बिजाई करते हैं तो अगली फसल में उन्हें 25 फीसदी तक यूरिया कम डालनी पड़ेगी। क्योंकि दलहन की फसलों की जड़ों में ग्रंथियां होती हैं जो भूमि मे नाइट्रोजन की पूर्ति कर देती हैं।
7 हजार प्रति एकड़ प्रोत्साहन भी मिलेगा
जो भी किसान अपनी कुल भूमि में से 50 फीसदी भूमि में धान की फसल नहीं उगाएगा उन्हें सरकार की तरफ से प्रति एकड़ 7 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। टोहाना पहले ही डार्क जोन में भू-जल स्तर 42 मीटर तक गिरने से रतिया में सरकार ने धान की फसल 50 फीसदी कम करने का निर्णय लिया है। टोहाना ब्लॉक पिछले कई सालों से डार्क जोन में है। रतिया व अन्य खंडों में ऐसी स्थिति ना बने इसलिए किसानों को चाहिए की वे अपने खेत में फसल चक्र को अपनाएं।
फसल चक्र के हैं बहुत फायदे : डीडीए
फसल चक्र से जहां भूमि की सेहत सुधरती हैं वहीं बीमारियों का प्रकोप भी कम होता है। इसके अलावा धान की जगह दलहन, नरमा या मक्का आदि की बिजाई करने से बढ़ें स्तर पर पानी की बचत होगी तथा भूमि का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। अब तक 314 किसानों ने 875 एकड़ भूमि में स्वेच्छा से धान नहीं लगाने के सहमति पत्र दिए हैं।'' -राजेश सिहाग, कृषि उप निदेशक, फतेहाबाद।
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